Corona vaccine पर सवाल! वॉलंटियर्स ने बताया सामने आ रहे ऐसे साइड इफेक्ट

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। भारत में कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) को मंजूरी मिलने के बाद सभी जगह इसका ट्रायल डोज (Corona vaccine trial dose) लगाया जा रहा है। ऐसा ही मामला भोपाल (Bhopal) से भी सामने आया है, जहां को-वैक्सीन का ट्रायल (Corona vaccine trial) डोज दिया जा रहा है। जिससे लोगों में कई तरह के साइड इफेक्ट (side effect) देखे जा रहे है। जैसे भूख ना लगना, सिर दर्द होना, आंसू आना, कमर दर्द होना, चक्कर आना, वजन का कम होना और पेट में दर्द जैसी कई तरह की समस्याएं सामने आ रही है। जिसे लेकर सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने मीडिया से बातचीत करते हुए और आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना वैक्सीन ट्रायल (Corona vaccine trial) के बाद कई पीड़ित सामने आए है। जिन्हें अब दिक्कतें आ रही है।

समाजसेवी रचना ढींगरा ने लगाए ये आरोप

इस दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press conference) करते हुए रचना ढींगरा (Rachna Dhingra) ने आरोप लगाया कि गैस पीड़ितों पर भी को-वैक्सीन का ट्रायल (Corona vaccine trial) किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि बस्तियों के वॉलंटियर (Settlement Volunteers) में सबसे ज्यादा गैस पीड़ित ही निवास करते हैं। जो पहले से ही कई तरह की बीमारियों के शिकार है। ऐसे में उनके ऊपर को-वैक्सीन का ट्रायल (Corona vaccine trial) किया जाना उनके लिए खतरे को और बढ़ाने जैसा है।

पीपुल्स अस्पताल प्रबंधन की मनमानी

भोपाल के पीपुल्स अस्पताल में को-वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है। इसके ट्रायल करने के बाद वॉलिंटियर द्वारा अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाया जा रहा है। मानसिंह परमार जो 70 वर्षीय है, उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के पूरे क्रियाकलाप पर प्रश्नचिन्ह लगाया है। मानसिंह परमार ने आरोप लगाया है कि उन्हें, अस्पताल प्रबंधन ने इस बारे में कुछ नहीं बताया था, उन्हें बस इंजेक्शन लगा दिया गया और कहा गया कि इसके बाद कोरोना नहीं होगा।

गरीब 600 लोगों को लगी वैक्सीन

मानसिंह परमार ने बताया कि उन्हें वैक्सीन लगाने के बाद एक बुकलेट दी गई, जिसके साथ कहा गया कि इससे अगर किसी को कोई दिक्कत आती है, तो वह इस बुकलेट में लिख देना। मानसिंह परमार ने बताया कि उन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आता, अगर उन्हें पहले ही बताया जाता है कि यह कोरोना वैक्सीन नहीं है तो वह इसे लगवाने से मना कर देते। लेकिन उन्हें इस बारे में अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई जानकारी या सूचना नहीं दी गई थी। वही इस संबंध में रचना ढींगरा ने कहा कि पीपुल्स अस्पताल के पास 6 गरीब बस्तियां बसी हुई है। इन बस्तियों में 600 से अधिक लोगों को कोवैक्सीन लगाया गया है।

एक डोज लगाने के बाद भी कोविड रिपोर्ट आई पॉजिटिव

को-वैक्सीन को लेकर शंकर नगर के गोलू दास ने भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पहला डोज लगवाने के बाद भी उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन द्वारा बाहर की दवाई लिखी गई और उन्हें वहां से भगा दिया गया। इसके साथ ही उन्हें दूसरा डोज भी नहीं लगाया गया।

अस्पताल प्रबंधन ने बनवाया वीडियो

गोलू दास ने यह भी आरोप लगाया है कि बाद में अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें बुलाया और एक वीडियो बनवाया। जिसमें अस्पताल प्रबंधन उनसे यह बुलवाना चाहते थे कि अस्पताल द्वारा उनके लिए सब कुछ किया जा रहा है। जिसमें यह भी मेंशन किया गया कि वह दवाई और इलाज भी करा रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही थी। गोलू दास ने यह भी बताया कि को-वैक्सीन का ट्रायल एक ही घर के कई लोगों के ऊपर किया गया है।

लोगों को हो रही कई समस्याएं

अस्पताल प्रबंधन के द्वारा मरीजों को टीका लगाने के बाद उनमें कई तरह के लक्षण दिखाई देने लगे। जिसमें भूख नहीं लगना, चक्कर आना, आंसू आना, कमर में दर्द होना, वजन कम होना, सिर दर्द होना, साथ ही साथ पेट में दर्द समेत कई तरह की दिक्कतें आने लगी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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