भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए मध्य प्रदेश में बीजेपी 26 सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर चल रही है। वर्तमान में पार्टी के पास 26 सीटों पर कब्जा है। कांग्रेस के पास तीन सीट हैं। हाल ही में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कई कद्दावर मंत्रियों की हार हुई। अब इनमें से कुछ दिल्ली जाने के लिए कोशिश कर रहे हैं लेकिन कुछ को आस है कि लोकसभा चुनाव के बाद कोई चमत्कार बीजेपी को फिर सत्ता में वापसी करवाएगा।
विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ये साफ हो गया है कि इस बार प्रदेश में बीजेपी को 26 सीटों पर फिर से जीत मिलना मुश्किल है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में जिस तरह बीजेपी को घेरा और कई दिग्गजों को हराया उससे पार्टी को अब 14 लोकसभा सीटों पर जीत की आशंका है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पार्टी इस बार दस सांसदों का टिकट काटने की तैयारी में है। इन दस सीटों पर पार्टी के खिलाफ विरोधी लहर है। लेकिन बीजेपी के सामने भी नए चेहरों को उतारने की चुनौति है। क्योंकि पार्टी मौजूदा विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़वाने के मूड में नहीं है और हारे पर दांव लगाना नहीं चाहती। और कई ऐसे पूर्व मंत्री हैं जो हारने के बाद भी लोकसभा चुनाव लड़ना में दिलचस्पी नहीं ल रहे।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बीजेपी नेताओं को इस बात की उम्मीद है कि वह सत्ता में वासपी करेंगे। क्योंकि कांग्रेस के पास पर्याप्त समर्थन नहीं है। कांग्रेस फिलहाल सपा, बसपा और निर्लदीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार चला रही है। हालांकि, बहुमत से सिर्फ दो ही सीट दूर है कांग्रेस। पिछले महीने विधानसभा चुनाव हारने वाले भाजपा मंत्रियों में जयंत मलैया, अर्चना चिटनिस, जयभान सिंह पवैया, उमाशंकर गुप्ता, रुस्तम सिंह, अंतर सिंह आर्य, ओमप्रकाश धुर्वे, नरेंद्र सिंह कुशवाहा, लाल सिंह आर्य, ललिता यादव, शरद जैन, बालकृष्ण पाटीदार और दीपक जोशी शामिल हैं।
इनमें से कई पूर्व मंत्रियों ने लोकसभा चुनाव लड़ने की बात से इनकार कर दिया हालांकि, उन्होंने कहा है कि वह पार्टी का फैसला मानेंगे। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि मुझे नहीं पता कि मैं लोकसभा चुनाव लड़ूंगा या नहीं। मन तो नहीं है। ललिता यादव ने कहा कि वह भी दिलचस्पी नहीं ले रही हैं, लेकिन पार्टी जैसा आदेश देगी वह वैसा करेंगी। दीपक जोशी ने कहा कि जब से वह विधानसभा चुनाव हार गए हैं, उन्हें पार्टी से कुछ भी दावा नहीं करना चाहिए। उन्होंने भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर की है। वहीं, अर्चना चिटनीस ने कहा कि पार्टी ही इस बारे में फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक खास तरीका होता है। मैं इस बारे में कुछ भी नहीं कहना चाहती। पूर्व मंत्री उमा शंकर गुप्ता ने कहा कि फिलहाल इस बारे में कोई चर्चा नहीं है कि कौन लोकसभा चुनाव लड़ेगा या नहीं।
प्रदेश में सत्ता से बाहर होने के बाद राजनीति के गलियारों में इस बात की चर्चा तेज थी कि चौहान जल्द ही दिल्ली भेजे जाएंगे। लेकिन उन्होंने मध्य प्रदेश में रहकर जनता की सेवा करने की बात कहकर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया। लेकिन अभी भी राजनीति के जानकारों का मानना है कि उन्हें पार्टी विदिशा से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दे सकती है। हालांकि, उन्होंने खुद कहा था कि मेरी आत्मा मध्य प्रदेश में है और मैं लोकसभा चुनाव के दौरान सक्रिय रूप से काम करने के लिए यहां रहूंगा। मेरा उद्देश्य भाजपा के लिए अधिकतम सीटें जीतना है। हालांकि, 10 जनवरी को बीजेपी ने शिवराज समेत दो अन्य पूर्व सीएम को बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित कर दिया। चौहान उसके बाद भी प्रदेश की राजनीति में सक्रिय है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि उम्मीदवारों का फैसला पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा किया जाएगा। लोकसभा टिकट देने के लिए कोई निश्चित मापदंड नहीं है। जीतने की क्षमता के आधार पर, पार्टी उम्मीदवारों का फैसला करेगी।