दिग्विजय सिंह ने मांग की है कि आपकी विधानसभा क्षेत्र (Budhni Assembly Constituency) में रहने वाले आदिवासी वर्ग पर हुए अत्याचार से जुड़े इस मामले की उच्चस्तरीय जांच (High level check) कराई जाये, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।वही पीड़ित परिवारों का निःशुल्क इलाज कराया जाये तथा शासन स्तर (State Government) से राहत राशि दी जानी चाहिये। मैं इस मामले में आपसे पूर्ण संवेदनशीलता के साथ शीघ्र कार्यवाही की अपेक्षा कर रहा हूँ।
दिग्विजय सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश आदिवासी विकास परिषद (Madhya Pradesh Tribal Development Council) के प्रदेश सचिव विनोद इरपाचे ने आपके विधान सभा क्षेत्र बुधनी की नसरुल्लागंज तहसील के ग्राम भिलाई में आदिवासी परिवारों पर हुए जानलेवा हमले की विस्तृत जांच रिपोर्ट दी है। इस घटना की आपको भी जानकारी लग चुकी होगी। आदिवासी विकास परिषद के प्रतिनिधि के रुप में भी विनोद इरपाचे और प्रतिनिधिमंडल ने नसरुल्लागंज क्षेत्र का दौरा कर पीड़ितों से मुलाकात की।
दिग्विजय सिंह बताया कि 13 फरवरी को ग्राम मरियादो और आस-पास के आदिवासी परिवार ‘‘बड़ेदेव’’ भगवान की पूजा करने भिलाई गाँव गये थे। इस दिन वहाँ की जमीनों पर कब्जा करने वाले लोगों ने मारपीट कर पूजा करने से रोका था। इस घटनाक्रम की सूचना पीड़ित परिवारों ने लाड़कुई पुलिस चौकी को देते हुए हमला करने वालों पर कार्यवाही की मांग की थी।पुलिस द्वारा लिखित सूचना के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिणाम स्वरूप दूसरे दिन 14 फरवरी को आदिवासी परिवार ‘‘बडे़देव’’ भगवान की पूजा करने पुनः उस धर्म स्थल पर पहुँचे तो अनेक हथियार बंद लोगों ने महिलाओं, बच्चों सहित पुरूषों पर जानलेवा हमला कर दिया। लाठियों और फरसे से वार किये।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि इसके साथ ही वर्षो से जिस धार्मिक स्थल पर आदिवासी पूजा करते आ रहे थे, उसे तोड़ कर तहस-नहस कर दिया गया। सामूहिक हमले में राधेलाल और कैलाश का सिर फोड़ दिया गया। साथ ही देवी सिंह, मोरसिंह, सोमचंद, मोहन बाई, दुल्लो बाई, माधूसिंह को गंभीर चोट आई है। सभी पीडितों के हाथ, पैर, सिर में गहरे घाव है। बलवे, मारपीट और जानलेवा हमले के बाद भी पुलिस ने आरोपियों के विरूद्ध सामान्य धाराओ में प्रकरण दर्ज किया है। वहीं राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हमलावर अभी तक फरार हैं और फरियादियों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
दिग्विजय ने मांग की है कि यह प्रदेश के दूर-दराज की नहीं आपके विधानसभा क्षेत्र की घटना है। आप आदिवासियों की तकलीफ, दुख-दर्द में स्वतः को अति संवेदनशील बताते है। लेकिन सीहोर पुलिस का रवैया इस मामले में अति असंवेदनशील जान पड़ रहा है। फरियादियों द्वारा 13 फरवरी को प्रारंभिक सूचना देने के बाद भी पुलिस निष्क्रिय रही जिससे हमलावरों के हौंसले बुलंद हो गए। अन्ततः दूसरे दिन उन्होने आतंक (Terror) फैलाते हुए आदिवासी परिवारों पर जानलेवा हमला कर दिया। हमलावरों को गिरफ्तार (Arrest) करने की जगह साधारण धाराओं में प्रकरण दर्ज कर अपराधियों को खुला संरक्षण दिया है।
उन्होंने कहा कि इस घटना से पूरे सीहोर जिले के आदिवासियों में पुलिस प्रशासन के प्रति आक्रोश है। स्थानीय स्तर पर हमलावरों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, इसलिये पुलिस उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही कर गिरफ्तारी नहीं कर रही है।आदिवासी समाज की धार्मिक आस्थाओं के केन्द्र वाले धार्मिक स्थल का पुनः निर्माण कराया जाना चाहिये। ’’बडेदेव’’ के इस स्थान पर आदिवासी समाज वर्षो से कन्या भोज, भंडारा आदि कराते आ रहे है।