दिग्विजय सिंह ने सीएम डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रक्रिया को पारदर्शी, सुलभ और किसान हितैषी बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि योग्य, प्रशिक्षित एवं निष्पक्ष सर्वेयरों की नियुक्ति की जाए ताकि उपज की गुणवत्ता जांच पारदर्शी हो और अतीत की तरह किसानों का शोषण न हो।
उन्होंने ये भी कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रति एकड़ कितनी उपज की खरीदी की जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार द्वारा कहा गया है कि पूर्व घोषित 25% के स्थान पर अब 40% उपज की खरीदी की जाएगी। लेकिन अब तक न तो इस संबंध में किसी आधिकारिक आदेश की प्रति सार्वजनिक की गई है, न ही केंद्र सरकार से अनुमोदित कुल उपार्जन सीमा के बारे में स्पष्टता दी गई है।
दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
दिग्विजय सिंह ने मूंग खरीद को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश का किसान देश का अन्नदाता है। वह परिश्रमपूर्वक देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है। अतः यह राज्य सरकार की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है कि किसानों को उनकी उपज का न्यायोचित मूल्य समय पर मिले और प्रक्रियात्मक दिक्कतों से उन्हें न जूझना पड़े।
किसानों के लिए की ये मांगें
1. उपार्जन की स्पष्टता: पने पत्र में उन्होंने इन नौ बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रेसवार्ता में यह कहा गया कि पूर्व घोषित 25% के स्थान पर अब 40% उपज की खरीदी की जाएगी। किन्तु अब तक न तो इस संबंध में किसी आधिकारिक आदेश की प्रति सार्वजनिक की गई है, न ही केंद्र सरकार से अनुमोदित कुल उपार्जन सीमा के बारे में स्पष्टता दी गई है। कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रति एकड़ कितनी उपज की खरीदी की जाएगी।
2. न्यायोचित आर्थिक सहायता: जिन किसानों ने डैच् पर खरीदी न होने के निर्णय के कारण मूंग को बाजार में कम दर पर बेचने को विवश होना पड़ा, उन्हें मंडी के आंकड़ों के आधार पर आर्थिक अंतर भरपाई प्रदान की जाए।
3. पंजीयन पोर्टल की तकनीकी समस्याएं: पंजीयन पोर्टल बार-बार ठप हो रहा है, जिससे किसान पंजीयन नहीं कर पा रहे हैं। सर्वर को तत्काल दुरुस्त किया जाए और अतिरिक्त आईटी संसाधनों की व्यवस्था की जाए।
4. गिरदावरी न होने की स्थिति में व्यवस्था: जिन किसानों की गिरदावरी नहीं हुई है या जिनके खसरे पंजीयन पोर्टल पर प्रदर्शित नहीं हो रहे, उनके लिए संबंधित पटवारियों को अधिकृत कर तुरंत सुधार एवं पंजीयन की अनुमति दी जाए।
5. पूर्ण मात्रा की एकमुश्त खरीदी: किसानों की उपज को निर्धारित सीमा तक एक बार में खरीदा जाए, बार-बार बुलाए जाने से किसानों को परिवहन और समय की दोहरी क्षति होती है।
6. गुणवत्ता जांच में पारदर्शिता: योग्य, प्रशिक्षित एवं निष्पक्ष सर्वेयरों की नियुक्ति की जाए ताकि उपज की गुणवत्ता जांच पारदर्शी हो और अतीत की तरह किसानों का शोषण न हो।
7. तुलाई व्यवस्था में सुधार: खरीद केंद्रों पर तुलाई के लिए लंबी प्रतीक्षा पंक्तियाँ न लगें, इसके लिए समुचित मानव संसाधन एवं मशीनीकरण की व्यवस्था की जाए।
8. बिक्री केंद्रों पर मूलभूत सुविधाएं: बरसात के मौसम को देखते हुए, खरीदी केंद्रों पर किसानों के बैठने, ठहरने एवं उपज को सुरक्षित रखने की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
9. खरीदी केंद्रों की संख्या में वृद्धि: किसानों की सुविधा के लिए खरीदी केंद्रों की संख्या को यथासंभव बढ़ाया जाए ताकि क्षेत्रीय भीड़भाड़ कम हो और समयबद्ध खरीदी सुनिश्चित हो सके।







