MP News : विवादों में घिरने के बाद आबकारी आयुक्त का आदेश निरस्त

Pooja Khodani
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आबकारी आयुक्त

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सियासी बवाल और विपक्ष की घेराबंदी के बाद विवादों में घिरे आईएएस (IAS) अधिकारी  और मध्यप्रदेश (MP) के आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे (excise commissoner rajeev chandra dubey ) के आदेश को शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने रद्द कर दिया है।आज शुक्रवार को सीएम हाउस (CM House) में हुई हाई लेवल मीटिंग (Meeting) के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है।

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दरअसल, गुरुवार को गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Dr. Narottam Mishra) ने  नई शराब की दुकान खोलने के प्रस्ताव की बात कही थी, जिसको लेकर कांग्रेस (Congress) ने जमकर सरकार की घेराबंदी की थी। वही वरिष्ठ भाजपा नेत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने भी एक के बाद एक 8 ट्वीट कर भाजपा शासित राज्यों में शराब बंदी की मांग कर डाली थी।वही बवाल बढ़ता देख मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने इस बात से इनकार किया था और कहा था कि फिलहाल नई शराब की दुकानें खोलने (Open new liquor shops) का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

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इसी बीच गुरुवार देर रात आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे (Excise Commissioner Rajiv Chandra Dubey) ने कलेक्टरों (Collectors) को पत्र भेजकर नई दुकानें खोलने के प्रस्ताव मांग डाले, जिससे विवाद और बढ़ गया और सियासी पारा हाई हो गया। इस संबंध में उन्होंने आदेश भी जारी किया था और सभी कलेक्टरों को पत्र भेजकर शहरी क्षेत्र में कम से कम 20% नई दुकान खोलने के प्रस्ताव मांगे थे। इतना ही नहीं आदेश में कलेक्टरों (Collectors) से गांवों में शराब की दुकान बढ़ाने का अनिवार्य रूप से प्रस्ताव भेजने को कहा गया था। जैसे ही यह खबर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास पहुंची तो उन्होंने नाराजगी जाहिर की, जिसके बाद आनन-फानन में इस आदेश को वापस लिया गया।

आदेश के प्रमुख बिंदु

  • कलेक्टरों से गांवों में शराब की दुकान बढ़ाने का अनिवार्य रूप से प्रस्ताव भेजने को कहा है।
  • 5 हजार से ज्यादा आबादी वाले उन गांवों में शराब की दुकान खोलने का प्रस्ताव अनिवार्य रूप से दिया जाए, जहां वर्तमान में कोई दुकान नहीं है।
  • इसके लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाया जाए।
  • दूसरे क्षेत्रों में राजस्व की बढ़ोतरी और अपराध नियंत्रण की दृष्टि से दुकानें खोलने का प्रस्ताव दिया जा सकता है।
  • शहरी क्षेत्रों में भी राजस्व बढ़ाने और अपराध के नियंत्रण की दृष्टि से नई दुकानों का प्रस्ताव दिया जा सकता है।
  • इसके लिए विकसित किए गए उन इलाकों को प्राथमिकता दी जाए, जहां वर्तमान में दुकान नहीं है।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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