नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। पर्यावरण के साथ लगातार खिलवाड़ का नतीजा भयानक हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (United Nation’s Inter governmental Panel on Climate Change) ने अपनी छठवीं आकलन रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2030 तक ग्लोबल वार्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच सकती है। वहीं बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर समुद्र का जल स्तर (sea level) 1901 से 2018 के बीच औसतन 0.20 मीटर बढ़ा है।
ग्लोबल वार्मिंग अर्थात धरती का तापमान बढ़ने के खतरों से तो हम सभी वाकिफ हैं लेकिन ये खतरे हमारे अंदाज़े से कई गुना अधिक भयावह हो सकते हैं। आईपीसीसी की ओर से क्लाइमेट चेंज को लेकर आने वाले महीनों में सिलसिलेवार रिपोर्ट्स की पहली कड़ी सोमवार को जारी हुई है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन के पैनल ने चेतावनी दी है कि वातावरण को ठंडा रखने के पानी और वनस्पति के स्रोतों की कमी के कारण अधिकांश शहर ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में हैं। भविष्य में होने वाले खतरों की आहट नजदीक आती जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हीटवेव, बारिश और सूखा को लेकर सामने आ रहे रिकॉर्ड बेहद खतरनाक है और दुनियाभर में मौसम में इस तरह के परिवर्तन हो रहे हैं। रिपोर्ट में गंभीर समस्या खड़े होने की बात कही गई है और कहा गया कि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि मनुष्य कितनी जल्दी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को रोकता है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि साल 2030 तक वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री का और इजाफा हो सकता है। जबकि 1850 से 1900 के बीच ग्लोबल तापमान पहले ही 1.1 डिग्री बढ़ चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक अत्यधिक हीट वेव पहले 50 साल में एक बार आती थी लेकिन अब ग्लोबल वार्मिंग के कारण हर दशक में एक बार आने लगी है। इसी के साथ मौसम में लगातार परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं, बारिश ज्यादा होने लगी है और सूखा भी अधिक पड़ने लगा है। इसी के साथ बताया है कि समुद्र के बढ़ते जल स्तर को वापस लाने में अब शायद सैकड़ों या हजारों साल लग जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती पर मौसम से जुड़ी भयंकर आपदाएं आ सकती हैं।