भोपाल| कर्जमाफी की प्रक्रिया में सामने आई गड़बड़ियों की शिकायत को लेकर सरकार सख्त हो गई है| सरकार ने जय किसान फसल ऋण माफी योजना के तहत सहकारी बैंकों/सहकारी समितियों एवं अन्य बैंकों से लिये गये ऋणों को फर्जी तरीके से दिखाये जाने पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं| वहीं किसान व कल्याण व कृषि विभाग ने भी गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाया| इस संदर्भ में आदेश भी जारी किए जा चुके हैं| आधिकारिक तौर पर गुरुवार को किसान कल्याण और कृषि विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि जिन किसानों ने कर्ज नहीं लिया है, फिर भी उनका नाम सूची में है, उनसे भी फॉर्म भरवाए जा रहे हैं, फर्जी ऋण पर सख्त कार्रवाई की जाये| इस सम्बन्ध में प्रमुख सचिव कृषि, राजेश राजोरा ने प्रमुख सचिव सहकारिता विभाग को पत्र लिखा है|
कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने गुरुवार को सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव से कहा कि लिए गए कर्ज से ज्यादा राशि दिखाने के प्रकरण सामने आए हैं। इसमें कुछ प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों में किसानों की बिना जानकारी के ही फर्जी प्रकरण बनाकर फसल ऋण के नाम पर राशि गबन के प्रयास किए जा रहे हैं। यह गंभीर मामले हैं। इनकी जांच हो। जांच में जो भी दोषी मिले कानूनी कार्रवाई की जाए।
दरअसल, निकायों और पंचायतों में कर्जमाफी वाले किसानों की जो सूची तैयार की गई है, उसमें भारी और गंभीर गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। कर्ज की लिस्ट में उन किसानों के भी नाम जोड़ दिए गए हैं, जिन्होंने कभी कर्ज लिया ही नहीं तो किसी के नाम पर दोगुनी राशि का कर्ज दिखाया गया है। सहकारी साख समितियां पर सवाल उठने लगे हैं| इससे सरकार में भी हड़कंप मच गया है। जिसके बाद कर्जमाफी से जुड़े सभी विभागों और कलेक्टरों को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं|
जय किसान फसल ऋण माफी योजना में जितने भी किसानों ने सहकारी समितियों से या सहकारी बैंक से ऋण नहीं लेने पर भी प्रदर्शित सूचियों में ऋण राशि होने का गुलाबी आवेदन दिया है, उन सभी प्रकरणों के आवेदन की अंतिम तिथि 5 फरवरी 2019 के तत्काल बाद लिस्ट तैयार की जायेगी। किसानों के नाम पर धोखाधड़ी या फर्जी लोन निकालने वालों के विरुद्ध सहकारिता विभाग जाँचोपरांत अपराधिक कार्यवाही करेगा। योजना में ऋण खातों की सूची प्रदर्शन के कारण ही ऐसे मामले उजागर होना संभव हो सका है। किसान कल्याण एवँ कृषि विकास विभाग द्वारा इस संबंध में अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं।योजना की क्रियान्वयन प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया गया है कि बैंक से प्राप्त मास्टर डेटा शीट के आधार पर तैयार हरी (आधार कार्ड प्रमाणित) और सफेद (गैर-आधार कार्ड प्रमाणित) सूची में नाम या ऋण राशि या अन्य जानकारी से सहमति नहीं होने या दोनों लिस्ट में नाम नहीं होने पर ऐसे किसानों के गुलाबी फार्म भरे जा रहे हैं। ऋण राशि अधिक होने के किसान के गुलाबी आवेदन पर ब्रांच में दोबारा ऑनलाइन पोर्टल पर रिकार्ड की चैकिंग करने और ऋण माफी की सत्यापित राशि माफ करने का प्रावधान है। इसलिये यह निष्कर्ष निकाल लेना कि प्रदर्शित सूची के आधार पर ही ऋण राशि माफ होगी, सही नहीं है। सम्पूर्ण आवेदन भरवाने का आधार ही सूची सार्वजनिक कर दावे आपत्ति लेना है। पात्र किसानों के फसल ऋण की राशि जय किसान फसल ऋण माफी योजना में नियमानुसार आवश्यक रूप से माफ किए जाने की व्यवस्था की गई है।
उल्लेखनीय है कि सहकारिता मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने प्रदेश में पूर्व में स्वीकृत ऋण प्रकरणों में अनियमितताओं के दोषी लोगों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। उन्होंने जय किसान फसल ऋण माफी योजना के क्रियान्वयन में सहकारिता विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को निरन्तर सजग और सक्रिय रहकर दायित्व निभाने के निर्देश दिये हैं।
शिकायतों के निराकरण के लिये जिलों में बनेंगे कंट्रोल-रूम
प्रदेश में जय किसान फसल ऋण माफी योजना के अंतर्गत किसानों की ओर से प्राप्त शिकायतों के निराकरण के लिये जिला स्तर पर कंट्रोल-रूम गठित किये जायेंगे। शिकायतों के निराकरण के लिये राज्य शासन सभी आवश्यक जाँच करवायेगा। इस संबंध में जिला कलेक्टर्स को निर्देश जारी कर दिये गये हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें विदेश प्रवास के दौरान मिली किसानों की शिकायतों और ऋणी किसानों द्वारा प्रकाशित सूचियों पर बड़ी संख्या में आपत्तियाँ दर्ज किये जाने को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जिलों में कंट्रोल-रूम का गठन कर शिकायतों की पूरी जाँच की जाये।