MP School : फीस के लिए दबाव बनाया तो निजी स्कूलों पर होगी कार्रवाई, विभाग ने दिए यह निर्देश

Pooja Khodani
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जबलपुर, संदीप कुमार। मध्य प्रदेश (MP School) के निजी स्कूल (Private Schools) के खिलाफ स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) ने सख्त रवैया अपनाया है, जिसके तहत निजी स्कूल अब छात्रों (Student) पर फीस (Schools Fees) के लिए दबाव नहीं बना सकेंगे। अगर उन्होंने ऐसा किया तो जुवेनाइल एक्ट (Juvenile Act) की तहत कार्रवाई की जाएगी।  इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी कर प्रताड़ित करने वाले स्कूलों (School) का ब्यौरा भी मांगा है।

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दरअसल, मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के पास लंबे समय से फीस जमा न करने पर निजी स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों को प्रताड़ित किए जाने की शिकायतें मिल रही थी।वही फीस के चलते छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं (Online Class) एवं मासिक टेस्ट और आंतरिक परीक्षाओं (Exam) से भी बाहर रखा जा रहा था, जिसके बाद विभाग ने सख्त रवैया अपनाते हुए ऐसे स्कूलों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 (Juvenile Justice Act 2015) की धारा 75 के तहत कार्रवाई करने की बात कही है।

वही विभाग ने विद्यार्थियों को प्रताड़ित करने वाले स्कूलों भी जिला शिक्षा अधिकारियों (District Education Officers) सूची मांगी है। केके द्विवेदी ,संचालक लोक शिक्षण, मप्र ने इस आशय के निर्देश शुक्रवार को शिक्षा (Eduacation) अधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं।  स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा कि फीस संबंधी समस्या का समाधान अभिभावकों से बातचीत के माध्यम से निकालना चाहिए ना कि छात्रों पर दबाव या फिर स्कूल, आनलाइन कक्षा या फि परीक्षा से वंचित कर नहीं। सभी संभागीय संयुक्त संचालक, डीईओ (DEO) को भी निर्देशित किया है, ऐसे मामलों पर तत्काल कार्रवाई करें।

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बता दे कि कोरोना काल (Corona Crisis) के चलते आम आदमी पर भार पड़ा है, आर्थिक रुप से वह कमजोर हो गया है। कईयों के व्यापार चौपट हो गए तो कईयों की नौकरियां चली गई, ऐसे में बढ़ती महंगाई के बीच स्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है, जिसके चलते अभिभावक समय पर फीस का इंतजाम करने में असमर्थ हो रहे है। विभाग के इस एक्शन के बाद निजी स्कूलों में हड़कंप मच गया है, आने वाले दिनों में कई स्कूलों पर कार्रवाई देखने को मिल सकती है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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