इंदौर, आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश में अपराधों की नगरी के रूप में कुख्यात हो चुके इंदौर में पुलिस का भयावह रूप सामने आया है जहां थाने में एक युवक की जमकर पिटाई की गई। पुलिस के आला अधिकारियों ने मारपीट के मामले हिरासत में लिए गए युवक की थाने की गई पिटाई के मामले में आजाद नगर थाने के टीआई मनीष डावर को लाइन अटैच कर दिया है।
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दरअसल, पूरा मामला इंदौर के आजाद नगर थाना क्षेत्र का है जहां एक वृद्ध पर हमला करने के मामले में आरोपी रामराज सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस दौरान पुलिस ने उसके साथ जमकर मारपीट की। इस बात का पता उस वक्त चला जब मंगलवार को आरोपी के परिजन उसे खाना देने पहुंचे और उसकी हालत देखकर परिजनों ने तस्वीरें खींच ली। फिर क्या था, तस्वीरें सामने आने के बाद बवाल मच गया। परिजनों ने पुलिस और थाना प्रभारी मनीष डावर पर आरोप लगाया कि उसे कोर्ट ले जाने के एवज में 1 लाख रुपये की मांग की गई थी। इधर, पुलिस की माने तो आरोपी पर करीब 22 प्रकरण दर्ज है और सोमवार सुबह वह शौच के बहाने निकला और हथकड़ी सहित फरार हो गया। जिसके बाद पुलिस ने चिड़ियाघर क्षेत्र से उसे पकड़ा।
इंदौर- युवक की थाने में जमकर पिटाई, परिजनों ने लगाए पुलिस पर संगीन आरोप, टीआई लाइन अटैच pic.twitter.com/iy8X67m0ZJ
— MP Breaking News (@mpbreakingnews) May 12, 2021
आरोपी के परिजनों का कहना है कि उसे नुकीले औजारों से पीटा गया, यहां तक कि उसके पैरो के नाखून भी उखाड़ दिए गए। पुलिस के इस रवैये की शिकायत जब आला अधिकारियों तक पहुंची तो उन्होंने आरोपी की तस्वीरों और वीडियो के देखने के बाद टीआई को लाइन अटैच कर दिया है। वहीं महिला सीएसपी नंदिनी शर्मा को जांच के आदेश दिए गए हैं। आरोपी रामराज चौहान की परिजन राजन्ति ने बताया कि पुलिस ने उसे गाय ढोर की तरह मारा है। रविवार को रामराज और उसके दोस्त ने खाना पीना किया और वहीं से पुलिस उसे थाने में ले आई और जब उससे बात करने की कोशिश की तो पुलिस ने बात करवाने से इंकार कर दिया। इसी के साथ आरोप लगाया कि पुलिस से जब कोर्ट पहुंचाने के लिये कहा गया तो पुलिस ने उसके एवज में 1 लाख रुपये की डिमांड की।
इधर लाइन अटैच किये गए थाना प्रभारी ने आरोपो को नकारते हुए कहा कि थाने से भागने के बाद नाले में कूदने से युवक की ऐसी हालत हुई है। मामले में एसपी आशुतोष बागरी द्वारा सीएसपी नंदिनी शर्मा को जांच के आदेश दिए है। सीएसपी नंदिनी शर्मा ने बताया कि मेरी जानकारी में मामला सामने आया है और मैं सभी तथ्यों को ध्यान में रख निष्पक्ष जांच करूंगी। फिलहाल, इस पूरे मामले में सवाल ये उठ रहा है कि जब भी किसी आरोपी को पकड़ा जाता है तो उसे 24 घंटे के अंदर नियमानुसार कोर्ट में पेश किया जाता है। ऐसे में 72 घंटे तक आरोपी को कैसे थाने में रखा गया जबकि परिजन कोर्ट ले जाने की मांग करते रहे थे। वही उसके साथ निर्दयता के साथ मारपीट भी की गई। इधर, जानकारी ये भी सामने आई है कि मामला मानव अधिकार आयोग के संज्ञान में आ चुका है और जल्द इस पूरे मामले पर मानव अधिकार आयोग भी कार्रवाई कर सकता है।