इस मामले में अगर सामने इधर से जबलपुर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा की माने तो डॉक्टर निशांत गुप्ता के अलावा के अलावा डॉ संजय पटेल, संजय पटेल, संतोष सोनी और मैनेजर राम सोनी के अलावा डॉ सुरेश पटेल के खिलाफ FIR दर्ज किया गया। साथ ही मैनेजर को भी हिरासत में लिया गया है। एसपी ने जानकारी देते हुए बताया है कि परमिशन देने वाले सरकारी अफसरों की भूमिका की जांच भी की जा रही है।
बता दें कि न्यू लाइफ हॉस्पिटल की प्रोविजनल एनओसी मार्च 2022 में ही समाप्त हो गई थी। फायर एनओसी के 4 महीने पहले एक्सपायर होने के बाद अब प्रोविजनल एनओसी जारी करने पर भी सवाल उठ रहे हैं। एसपी ने कहा है कि यदि परमिशन देने वाले शासकीय अफसरों की भूमिका पाई जाती है तो उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज किया जाएगा।
वही अग्निकांड में हुए लोगों की मौत के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अस्पताल बिना फायर सेफ्टी प्रोटोकॉल के कैसे संचालित किया जा रहा था? वहीं अस्पताल में एक ही गेट है, जहां से आना जाना तय किया जाता है। आपातकालीन स्थिति में कोई दूसरा गेट नहीं है। जिससे लोगों को बाहर निकाला जा सके। ऐसे में कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। वहीं पुलिस का कहना है कि 4 महीने पहले फायर NOC के समाप्त होने के साथ ही अस्पताल में अग्निशमन यंत्र स्थापित किया जाना था लेकिन अस्पताल में आग बुझाने के लिए यंत्र तक नहीं लगे हुए थे।
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इमरजेंसी में बाहर निकलने के लिए अस्पताल में कोई अतिरिक्त रास्ता चिन्हित नहीं किया गया। इसके अलावा अस्पताल प्रशासन द्वारा बिल्डिंग के सौंदर्यीकरण के लिए जिस प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है। इस प्लास्टिक ने आग को और अधिक भड़काने का काम किया था। पुलिस की जांच में एक और बात निकल कर सामने आई है।
जिसमें कहा गया है कि नगर निगम और सीएमएचओ ने अस्पताल प्रबंधन को फायर सेफ्टी के लिए कई बार पत्र लिखा लेकिन प्रबंधन द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। ना ही अस्पताल प्रबंधन द्वारा इलेक्ट्रिसिटी सेफ्टी ऑडिट कराए गए हैं। इसका खामियाजा यह निकला कि अस्पताल के लोग और जनरेटर के लोर में अंतर था।
जिस वजह से वायर में शॉर्ट सर्किट देखने को मिला। हालांकि एक तरफ जहां अस्पताल के डायरेक्टर और मैनेजर पर FIR दर्ज किया गया है। वहीं मैनेजर को हिरासत में लेते हुए पुलिस ने अस्पताल को सील कर दिया है। किसी को भी भीतर आने जाने की इजाजत नहीं है। फॉरेंसिक टीम की जांच भी आग के कारणों का पता लगा रही है।