शिव’राज’ के ‘पावर गेम’ को ध्वस्त करेगी कमलनाथ सरकार..?

Published on -
-Kamal-Nath-government-will-destroy-Shivraj's-power-game-

जबलपुर| मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने शिवराज सरकार में निजी बिजली कंपनियों से किए गए पावर परचेस एग्रीमेंट्स पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है|  दरअसल ये एग्रीमेंट मध्यप्रदेश में मंहगी बिजली की बड़ी वजह हैं जिनके मुताबिक सरकार को बिजली कंपनियों से बिजली खरीदे बिना भी हज़ारों करोड़ रुपयों के भुगतान करने पड़ते हैं| बिजली मामलों के जानकार, शिवराज सरकार में हुए ऐसे पावर परचेस एग्रीमेंट्स को बड़ा घोटाला बताते आए हैं जिनकी अब जांच और समीक्षा की जा रही है। 

पूरी दुनिया डिमांड और सप्लाई के नियम पर चलती है लेकिन मध्यप्रदेश के पावर सेक्टर में व्यापार का ये बेसिक रुल, ताक पर नज़र आता है वो इसलिए क्योंकि प्रदेश में बिजली की औसत मांग सालाना करीब 8 से 9 हज़ार मेगावॉट है लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार इससे दुगनी से भी ज्यादा करीब 19 हज़ार मेगावॉट बिजली खरीदी की कीमत चुकाती है| इसकी वजह है शिवराज सरकार में निजी कंपनियों से किए गए पावर परचेस एग्रीमेंट जी हाँ, देश में सबसे मंहगी बिजली वाले राज्यों में शुमार मध्यप्रदेश में जनता को मंहगी बिजली मिलने की भी बड़ी वजह शिवराज सरकार में किए गए पावर परचेस एग्रीमेंट ही हैं| 

शिवराज सरकार ने जनवरी 2011 में निजी बिजली कंपनियों से ऐसे कई एग्रीमेंट किए थे जिसमें उनसे बिजली खरीदे बिना भी फिक्स चार्ज के रुप में करोडों रुपयों की राशि देने का प्रावधान कर दिया गया था| औसत मांग से करीब दुगनी बिजली खरीदी के इन एग्रीमेंट्स को बिजली मामलों के जानकार शिवराज सरकार का बड़ा घोटाला बताते हैं| जानकारों के मुताबिक इन एग्रीमेंट्स में भारत सरकार की टैरिफ पॉलिसी का पालन नहीं किया गया जिसमें सीधे पावर परचेस एग्रीमेंट्स की बजाय बाज़ार से प्रतिस्पर्धात्मक दरों और बोलियों पर बिजली खरीदी की जानी थी| बिजली मामलों के जानकार शिवराज सरकार में हुए इन लॉन्ग टर्म पावर परचेस एग्रीमेंट्स की टाईमिंग पर भी सवाल उठाते हैं जिसमें 5 जनवरी 2011 के ही दिन अलग अलग जगहों पर पाँच निजी कंपनियों से हज़ारों करोड़ रुपयों के करार किए गए थे| आरटीआई से मिली जानकारी बताती है कि इनमें कुछ एग्रीमेंट बिजली विभाग के अधिकारियों ने तब साईन कर दिए जब उन्होने विभाग में अपना पदभार भी नहीं संभाला था|  निजी कंपनियों में जेपी बीना, जेपी निगरी, एमपी पावर अनूपपुर, झाबुआ पावर घंसौर, बीएलए पावर गाडरवारा और लैन्को अमरकंटक से बिजली खरीदी के करार हुए और इनमें भुगतान के लिए वैरिएबल कॉस्ट की बजाए फिक्स कॉस्ट का प्रावधान कर दिया गया|  फिक्स कॉस्ट में प्रावधान किया गया कि सरकार इन कंपनियों से बिजली ना भी खरीदे तो उन्हें हर साल करोडों रुपयों की राशि दी जाएगी|

बीते वित्तीय वर्ष में ही मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने अपना सालाना खर्च 31 हजार 766 करोड़ रुपए बताया जिसमें करीब 10 हज़ार करोड़ रुपयों की राशि बिजली कंपनियों को फिक्स कॉस्ट के रुप में चुका दी गई… इसमें 3 हजार 631 करोड़ रुपयों की राशि उन कंपनियों को चुकाई गई जिनसे सरकार ने एक यूनिट भी बिजली नहीं ली… अब मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने शिवराज सरकार में हुए ऐसे सभी पावर परचेस एग्रीमेंट की जांच और समीक्षा शुरु करवा दी है… फिलहाल मामले पर ज्यादा बोलने से बच रहे ऊर्जामंत्री प्रियव्रत सिंह का कहना है कि अगर किसी एग्रीमेंट में कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो उस पर भी कार्यवाई होगी। मध्यप्रदेश में मांग से ज्यादा बिजली खरीदी और सरप्लस बिजली पर भी घाटे का सबब बनने वाले, ऐसे पावर परचेस एग्रीमेंट बिजली कंपनियों की खस्ता माली हालत की भी वजह बन रहे हैं जिनके चलते बिजली कंपनियां प्रदेश में बिजली के दाम लगातार बढ़ाने की पैरवी करती हैं|  बहरहाल देखना होगा कि कांग्रेस सरकार इनकी जांच कहां तक ले जाती है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह भी कमलनाथ सरकार से ऐसे करार रद्द करने की मांग कर चुके हैं।


About Author

Mp Breaking News

Other Latest News