अमानक अनाज पर कमलनाथ का सीएम से सवाल, कहा- आख़िर किसकी जेब में जा रहा भ्रष्टाचार का पैसा ?

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में अमानक अनाज का मुद्दा गरमाया हुआ है। वहीं विपक्ष इस मुद्दे को लेकर आए दिन प्रदेश सरकार पर आरोप लगाता रहता है। बुधवार को भी प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने ट्वीट के जरिए शिवराज सरकार पर आरोप लगाए है।

पूर्व सीएम ने प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए ट्वीट किया कि प्रदेश में राशन दुकानों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पोल्ट्री ग्रेड के चावल के वितरण के बाद अब सड़े हुए गेहूं का वितरण किया जा रहा है। इसमें भी भारी भ्रष्टाचार की बू आ रही है। आगे उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए ट्वीट किया कि पता नहीं शिवराज सरकार प्रदेश की ग़रीब जनता को जानवरो के खाने लायक़ गेहूं – चावल खिलाने पर क्यो उतारू है ? क्यो उन्हें अच्छी क्वालिटी का राशन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है ? इस भ्रष्टाचार का पैसा आख़िर किसकी जेब में जा रहा है ?

 

वहीं आज स्वनिधि योजना के तहत देश के प्रधानमंत्री द्वारा किए गए संवाद को लेकर पूर्व सीएम ने उपचुनाव का मुद्दा उठाते हुए ट्वीट किया कि आज मध्यप्रदेश में स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स से प्रधानमंत्री मोदी जी ने संवाद किया। सरकार का दावा है कि प्रदेश में 1 लाख से ज़्यादा हितग्राहियों को इस योजना का लाभ हुआ लेकिन जिन क्षेत्रों में संवाद हुआ वो वो क्षेत्र है, जहाँ उपचुनाव होना है।

वहीं आगे ट्वीट करते हुए कांग्रेस नेता ने सरकार पर राजनीतिकरण का आरोप लगाते हुए कहा  कि प्रदेश के अन्य हिस्सों के हितग्राहियों का संवाद के लिये चयन आख़िर क्यों नहीं ? ये तो सरकारी योजना का सीधा साधा राजनीति करण है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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