भोपाल। बंगाल में सीबीआई बनाम ममता सरकार के हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामे ने देश की सियासत में हंगामा खड़ा कर दिया। कोलकाता के कमिश्नर से पूछताछ करने पहुंची सीबीआई को ही बंगाल पुलिस ने हिरासत में ले लिया। सीबीआई अफसर शारदा चिटफंड घोटाले में कमिश्नर से पूछताछ करने के लिए पहुंचे थे। लेकिन सीएम ममता बनर्जी कमिश्नर को बचाने के लिए ढाल बन गईं। ऐसा पहला बार नहीं हुआ जब किसी राज्य सरकार ने अपने अफसर को बचाने के लिए सीबीआई की एंट्री पर इस तरह का एक्शन लिया हो। हांलाकि, एमपी में बीजेपी सरकार भी ऐसा कर चुकी है।
मध्य प्रदेश में जब बीजेपी की सरकार थी और केंद्र में कांग्रेस की सरकार, तब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी ऐसा कर चुके हैं। करीब छह साल पहले शिवराज सरकार ने एक आदेश जारी कर सीबीआई की एंट्री बिना राज्य सरकार की अनुमति के नहीं होने के आदेश दिए थे। लेकिन अब राजनीतिक हालात बदल गए हैं। अब प्रदेश में कांग्रेस और केंद्र में बीजेपी की सरकार है। छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की भूपेश सरकार ने सीबीआई की एंट्री पर बैन लगा दिया है। अब मध्य प्रदेश में भी कमलनाथ सरकार ऐसा करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में भी सीबीआई की एंट्री पर रोक लगाई जा सकती है।
कांग्रेस लीगल सेल के हैड जेपी धनोपिया ने कहा, ‘बंगाल में सीबीआई द्वारा बिना इजाजत के इस तरह घर में जाकर पूछताछ करने करने के प्रयास की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सीबीआई और एनडीए सरकार देश के संघीय ढांचे को खत्म करने का प्रयास कर रही है। जांच एजेंसी को पहले राज्य सरकार से पूछताछ के लिए अनुमति लेना चाहिए थी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना से बीजेपी का दौहरा चरित्र सबके सामने आ गया है।’
2012 में बीजेपी सरकार ने भी गजट नोटिफिकेशन जारी कर ऐसा ही किया था। शिवराज सरकार ने 2012 में एक बिल भी पास कर सीबीआई की एंट्री पर रोक लगाई थी और अब उनके ही नेता इस घटना पर शोर मचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि, ‘राज्य सरकार को इस बात डर था कि कही यूपीए की केंद्र सरकार भ्रष्ट अफसरों पर एक्शन ने ले। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व सरकार ने घोटालेबाज आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को संरक्षण भी दिया था। बीते पांच साल में राज्य सरकार ने 250 भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ जांच और कार्रवाई के आदेश नहीं दिए। पूर्व सरकार ऐसा अफसरों को बचाने का काम करती रही है।’