भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ऊर्जा विभाग (Energy Department) ने एक और बड़ा फैसला किया है। विभाग ने स्थानीय निर्माताओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से निर्णय लिया गया है कि भविष्य में कुल सामग्री खरीदी में न्यूनतम 10 प्रतिशत राशि की सामग्री इनसे खरीदी जायेगी।यह जानकारी आज ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और शिवराज सरकार (Shivraj Government) में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) ने दी।
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ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने लॉकडाउन (Lockdown) अवधि में बिजली उपभोक्ताओं की तकलीफ को महसूस कर उनके हित में अनेक निर्णय लिये हैं। इन निर्णयों से उपभोक्ताओं को 1000 करोड़ से अधिक की राहत मिल चुकी है। ट्रांसफार्मर, मीटर, केबल ओर कंडक्टर जैसी मुख्य सामग्री के परीक्षण के लिये भोपाल (Bhopal), इंदौर (Indore) और जबलपुर में प्रयोगशालाएँ बनायी गयी हैं। परीक्षण के आधार पर डिफाल्टर कम्पनियों के विरुद्ध कार्यवाही की जा रही है। आउटसोर्स कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलवाया जा रहा है।
दरअसल, ऊर्जा मंत्री से लेकर जूनियर इंजीनियर तक बिजली उपभोक्ताओं से चर्चा कर ऊर्जा विभाग की कार्य-प्रणाली का फीडबैक ले रहे हैं। इस नवाचार में 3 माह में 4 लाख से अधिक उपभोक्ताओं से संवाद किया गया। इसमें संतुष्टि का प्रतिशत 97.15 है। समाचार-पत्रों, फेसबुक (Facebook), ट्वीटर (Twitter) एवं अन्य सोशल मीडिया (Social Media) से प्राप्त शिकायतों पर भी संज्ञान लेकर कार्यवाही की जा रही है।
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ऊर्जा मंत्री ने बताया कि दीर्घकालीन बिजली की माँग एवं उपलब्धता के आकलन के लिये ‘द इनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (TERI)’ के साथ एमओयू किया गया है।विदिशा जिले (Vidisha Distrcit) के कृषि उपभोक्ताओं को सब्सिडी (Subsidy) का वितरण डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) स्कीम से शुरू कर दिया गया है। इस स्कीम को लागू करने से प्रदेश सरकार (MP Government) को भारत सरकार (Indian Government) द्वारा 1423 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण सीमा की स्वीकृति दी गयी है।
2023 तक पूरा होगा लक्ष्य
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि ‘आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश” रोडमैप में विद्युत माँग की सुचारु आपूर्ति के लिये पारेषण प्रणाली के विस्तार कार्यक्रम में 4000 करोड़ रुपये की लागत से ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर एवं टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धात्मक निविदाओं के जरिये अति उच्च-दाब उप-केन्द्रों एवं उससे संबंधित लाइनों का निर्माण शामिल किये गये हैं। ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर में 90 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। जून-2021 तक अधिकांश काम पूरा कर लिया जायेगा। टैरिफ आधारित 2000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के जरिये परियोजना का कार्य प्रगतिरत है, जिसे वर्ष 2023 तक पूरा कर लिया जायेगा।