भोपाल। लोकसभा चुनाव में बेहतर परिणाम दिलाने के लिए कांग्रेस मंत्रियों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। अपने अपने क्षेत्र में पार्टी को जीत दिलाने के लिए अब इन मंत्रियों का परर्फोमेंस पर निर्भर करेगा कि वह लोकसभा चुनाव के बाद मंत्री रहेंगे या फिर बेहतर परिणाम देने वाले विधायकों की किस्मत खुलेगी। कमलनाथ कैबिनेट में सभी मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। इसके पीछा का करण जानकार बताते हैं कोई भी मंत्री यह बहाना न बना सके कि उसके काम में किसी ने रोड़ा अड़ाया। मंत्रियों की सूची में फिलहाल कई वरिष्ठ विधायक बैठे हुए हैं जो नाराज भी हुए, लेकिन उनको फिलहाल मनाते हुए यह भरोसा दिलाया गया है कि लोकसभा चुनाव तक इंतजार करो। अब मंत्रियों के पास लोकसभा चुनाव के लिए अपने क्षेत्र में बेहतर परिणाम देने के लिए कम समय बचा है, क्योंकि मार्च माह के पहले सप्ताह चुनाव आचार संहिता लग सकती है।
मंत्रियों की साख दांव पर, पद पर लटकी तलवार
सत्ता में 15 साल वापसी के बाद कांग्रेस सरकार में आई है। नए नवेले मंत्री स्वागत और सत्कार में व्यस्त हैं। लेकिन अब उनकी साख लोकसभा चुनाव में दांव पर लगी है। अगर परिणाम पार्टी के अनुसार नहीं आए तो सभी मंत्रियों के पद पर तलवार लटक सकती है।
मंत्रियों लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखकर काम करना होगा। इसके पीछे कारण यह है कि सभी मंत्रियों को साफ तौर पर यह कह दिया गया है कि जिस विभाग की भी समीक्षा होगी उसमें अगर कमी आती है तो उसके लिए अधिकारी नहीं बल्कि मंत्री जिम्मेदार होगा। इसको लेकर पहली बैठक में ही मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को संकेत भी दे दिए थे। विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद अब लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री कमलनाथ की परीक्षा होना है और उसी परिणाम के आधार पर यह तय होगा कि कमलनाथ में किस तरह से जनता के लिए काम किया
कई विधायक कर रहे मंत्री बनने का इंतेजार
कमलनाथ कैबिनेट में इस बार किस तरह से मंत्रियों का पद बांटा गया है ये जगजाहिर है। कांग्रेस में कोटा सिस्टम चलता है। कोटा सिस्टम के चलते कई वरिष्ठ विधायकों को दरकिनार कर नए नवेले और दूसरी बार जीते विधायकों को मंत्री पद दिया गया है। ऐसे में कांग्रेस को वरिष्ठ विधायकों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ा है। इन नाराज विधायकों को कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि लोकसभा चुनाव तक इंतेजार करें। अगर पार्टी को मनचाहे नतीजे नहीं मिले तो कई मंत्रियों पर गाज गिर सकती है।
अब यह रास्ता सिर्फ मंत्री बनाने का ही है। कांग्रेस के अंदरखाने की मानें तो मंत्रियों से साफ कह दिया गया है कि कोई भी इस भ्रम में न रहे कि उनके नेता के सहारे मंत्री की कुर्सी बरकरार बनी रहेगी, क्योंकि लोकसभा चुनाव में परिणाम बेहतर (जहां की जिम्मेदारी दी है वहां नहीं जीते) नहीं दिया तो फिर मंत्री की कुर्सी जा सकती है। इस बात पर प्रदेश के सभी क्षत्रप नेता एकराय हैं। उन्होंने अपने समर्थक मंत्रियों से भी साफ कह दिया है कि आमजन के लिए बेहतर काम करने के साथ ही लोकसभा में परिणाम कांग्रेस के पक्ष में देने के लिए अभी से जुट जाएं, क्योंकि अगर परिणाम पक्ष में नहीं आया तो हम कुछ नहीं कर सकेंगे।