MP उपचुनाव 2020 : कितना असर डालेंगे ये चुनावी मुद्दे, किसकी बनेगी प्रदेश में सरकार

Pooja Khodani
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बीजेपी सांसद

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 28 सीटों पर होने उप चुनाव (By-election) की तारीख का ऐलान हो चुका है, 3 नवंबर को सभी प्रत्याशियों की किसमत ईवीएम (EVM) में कैद हो जाएगी, और 10 नवंबर को सभी की किस्मत का फैसला भी हो जाएगा। साथ ही सरकार का भविष्य भी तय हो जाएगा की प्रदेश में शिवराज सरकार (Shivraj Government) परमानेंट होगी या फिर सत्ता गवाने का दर्द झेल रही कांग्रेस (Congress) की दोबारा वापसी होती है।

प्रदेश के सियासी इतिहास में यह सबसे बड़ा उपचुनाव है। 106 सीटों वाली भाजपा सत्ता में जरूर है पर उसे बहुत मत हासिल नहीं है। इसके लिए उससे 9 सीट की दरकार है, वहीं आम चुनाव में 114 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के पास अब महज 88 विधायक बचे हैं। बहुमत के अंकगणित तक पहुंचने के लिए उसे सभी सीटें जितनी होगी, ऐसे में कांग्रेस की राह आसान नहीं है।

इस उप चुनाव में कांग्रेस पार्टी टिकाऊ बनाम बिकाऊ का मुद्दा उठा कर बीजेपी को जनता की अदालत में खड़ा करने के लिए पूरी ताकत झोंकने में लगी हुई है। वहीं बीजेपी भी पूरा होमवर्क कर के मैदान में उतरी है और कांउन्टर अटैक करते हुए बीजेपी अपने पांच महीने में किए काम और कांग्रेस द्वारा किए 15 महीनों के कामों को लेकर जतना के बीच पहुंच रही है।

प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता से बेदखल का सबसे बड़ा कारण वो 22 विधायक थे जो ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। बीजेपी में शामिल हुए विधायकों को कांग्रेस गद्दार (Gaddar) बात रही है। वहीं बीजेपी सभी को जनता के समान खुद्दार (Khuddar) साबित करने में लगी हुई है। बीजेपी का कहना है सभी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायक प्रदेश के विकास और प्रदेश को भरष्टाचार (Corruption) के दलदल से बाहर निकलने के लिए बीजेपी में शामिल हुए है। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि सभी विधायकों ने पैसों के लालच के लिए अपने आप को बीजेपी को बेच दिया है।

आम तौर पर उप चुनावों में स्थानीय मुद्दे अधिक हावी होते है, लेकिन इस बार बीजेपी राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir Construction) को मुद्दा बना कर मैदान में उतरने की तैयारी में है। वह अयोध्या में बनने जा रहे मंदिर का क्रेडिट लेकर वोटरों के बीच पहुंच रही है। बीजेपी के कई उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्र में रामशिला यात्राएं निकाल रहें है। यह तो साफ है कि बीजेपी की प्रचार शैली कांग्रेस के काफी ज्यादा आक्रमक है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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