MP College: 24 घंटे में उच्च शिक्षा विभाग ने वापस लिया आदेश, मंत्री ने कमिश्नर को दिए ये निर्देश

Pooja Khodani
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उच्च शिक्षा विभाग

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  कॉलेज छात्रों (College Student) के एडमिशन को लेकर जारी एक आदेश को विवाद और विरोध के बाद मप्र उच्च शिक्षा विभाग  ने 24 घंटे में ही वापस ले लिया है।उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव (Higher Education Minister Dr. Mohan Yadav) ने सफाई देते हुए कहा है कि उच्च शिक्षा कमिश्नर को निर्देश दिए है कि किसी भी विद्यार्थी पर किसी भी थाने में यदि कोई प्रकरण पंजीबद्ध है तो एडमिशन नहीं रोका जाए। उन्हें सामान्य रूप से एडमिशन दिया जाए।

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दरअसल, 1 अगस्त 2021 से मध्य प्रदेश के उच्‍च शिक्षा संस्थानों में एडमिशन शुरू होने जा रहे है, इसके पहले शुक्रवार को उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि जिन छात्र-छात्राओं पर किसी भी तरह का आपराधिक प्रकरण दर्ज है, उन्हें कॉलेज में प्रवेश नहीं मिलेगा। वही संकाय, कर्मचारियों या अन्य छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के दोषी पाए गए छात्रों को भी प्रवेश नहीं मिलेगा।इसके अलावा इन छात्रों को एडमिशन (Criminal Record) के लिए एक घोषणा पत्र भी दिखाना होगा, जिसमें यह स्‍पष्‍ट हो कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है।

उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department) के इस आदेश के जारी होते ही सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक विरोध शुरु हो गया।एनएसयूआई (NSUI) ने इस शिवराज सरकार का तुगलकी फरमान बताते हुए तुरंत वापस लेने की मांग की थी, नहीं तो प्रदेश भर में प्रदर्शन किया जाएगा।इसके बाद उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने विवादित आदेश को वापस लेने के निर्देश दिए हैं, उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने आदेश को गलत बताते हुए कहा कि सभी स्टूडेंट्स को कॉलेज में एडमिशन दिया जाएगा।

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उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का कहना है कि न्यायालय में गुण-दोष के आधार पर सजा तय होती है। लोकतंत्र में छात्र नेताओं पर लोक हितैषी मुद्दों के आंदोलन होने पर प्रकरण दर्ज होते रहते हैं, केवल आपराधिक प्रकरण दर्ज होने से छात्रों को दाखिला लेने से नहीं रोका जा सकता है ।किसी भी विद्यार्थी का प्रवेश रोकना गलत होगा। जब आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद भी लोकसभा और विधानसभा के प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता तो छात्र-छात्राओं  (Student) का प्रवेश कैसे रोका जा सकता है।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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