MP Election 2023 : दिग्विजय सिंह ने त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था पर पूछे सीएम शिवराज से सवाल, सरकार पर लगाए आरोप

Kashish Trivedi
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MP Election, Digvijaya Singh, Shivraj Singh Chauhan : मध्य प्रदेश में आगामी चुनाव से पूर्व दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज और बीजेपी सरकार पर एक बार फिर कड़ा प्रहार किया है। एक के बाद एक सवाल पूछते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस सरकार के समय अधिकार संपन्न रहे सरपंच, जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष को सिर्फ डाकिया बना उनके अधिकार छीन लिए गए है?

विकेंद्रीकृत व्यवस्था को केंद्रीकृत करते हुए अधिकार जनप्रतिनिधियों से छीनने का आरोप 

MP BJP सरकार ने विकेंद्रीकृत व्यवस्था को केंद्रीकृत करते हुए सारे अधिकार जनप्रतिनिधियों से छीन लिया है और उन्हें शासकीय अधिकारियों को दे दिए हैं? त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था पर सीएम शिवराज से कड़े सवाल पूछते हुए दिग्विजय सिंह ने सरकार पर आरोप भी लगाए हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने मध्य प्रदेश में ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत को असीमित अधिकार देकर एक विकेंद्रीकृत व्यवस्था लागू की थी। उसे भाजपा सरकार द्वारा पूरी तरह से ध्वस्त करने के पीछे का कारण क्या है?

सिंह ने कहा पंचायत राज व्यवस्था पर कांग्रेस सरकार द्वारा कई बड़े कदम उठाए गए थे। कांग्रेस सरकार ने 1993 से 2003 के बीच मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की थी। सिंह ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए 73वें और 74वें संविधान संशोधन के तहत पंचायत राज कायम करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बना था।

इस कार्यकाल के दौरान ग्राम स्वराज की व्यवस्था लागू की गई थी। इसमें भी मध्य प्रदेश देश में यह व्यवस्था लागू करने वाला प्रथम राज्य बना था। वहीं प्रशासन की पारदर्शिता के लिए ग्राम संपर्क अभियान चलाए जाने वाले और प्रदेश को ई प्रशासन के द्वारा हर गांव का डाटा ऑनलाइन करने वाला भी मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बनकर उभरा था।

छीन लिए गए थे वित्तीय अधिकार

बता दे कि इससे पूर्व जनवरी 2022 में एमपी में पंचायत चुनाव की वजह से सरपंचों से वित्तीय अधिकार छीन लिए गए थे। हालांकि चुनाव स्थगित होने के बाद एक बार फिर से उन्हें वित्तीय अधिकार दिए गए थे। सरकार को तुरंत ही अपने आदेश को पलटना पड़ा था। 12 दिन बाद शिवराज सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों से संवाद के बाद उन्हें वित्तीय अधिकार लौटाए थे।

वही सीएम शिवराज ने कहा था कि पंचायत चुनाव में देरी की वजह से ऐसा फैसला लिया गया था। लोकतंत्र में चुने हुए प्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं। ऐसे में कई कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं। वित्तीय अधिकार सौंपे जाने के लिए प्रशासकीय समिति के अध्यक्ष और सचिव बनाकर उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्यमंत्री ने तब कहा था कि चुनी हुई व्यवस्था प्रशासकीय व्यवस्था के साथ बेहद आवश्यक है। प्रशासकीय समिति के सभी पूर्व के चुने हुए पंचायत, जनपद और जिला पंचायत के सदस्य जिला क्राइसिस मैनेजमेंट सदस्य के रूप में कार्य करेंगे।

सीएम शिवराज और उनकी सरकार पर क्या है आरोप ?

सिंह ने सीएम शिवराज से सवाल पूछते हुए सीएम शिवराज और उनकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। दिग्विजय सिंह का कहना है कि पंचायत द्वारा विभिन्न योजनाओं पर किए जा रहे कार्यों के भुगतान एक पोर्टल द्वारा भोपाल से अधिकृत करने के बाद किया जा रहे हैं? इसके पीछे का कारण क्या है? आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि क्या कमीशन के हिस्से को बढ़ाने के लिए जबरन भोपाल से स्वीकृत करने की व्यवस्था तैयार की गई है?

दिग्विजय सिंह के इस सवाल पर निश्चित ही एक बार फिर त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था सहित अन्य विषयों पर आरोप प्रत्यारोप तय माने जा रहे हैं। वही बीजेपी सरकार पर विकेंद्रीकृत व्यवस्था को केंद्रीकृत करने के लगे आरोप पर बीजेपी और सीएम क्या प्रतिक्रिया देते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।


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