नारायण त्रिपाठी बोले ,अब हर हाल में विंध्य ही अंतिम लक्ष्य, देखिये खास बातचीत

Gaurav Sharma
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भोपाल/सतना, डेस्क रिपोर्ट। बीजेपी के फायरब्रांड नेता और मैहर (सतना) से विधायक नारायण त्रिपाठी (MLA Narayan Tripathi) ने विंध्य प्रदेश (Vindhya Pradesh) को लेकर ताल ठोक दी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि बीजेपी (BJP) का हर आदेश सर माथे पर लेकिन विंध्य प्रदेश (Vindhya Pradesh) के मामले में अब उनकी लड़ाई अंतिम निष्कर्ष तक जारी रहेगी ।

विंध्य एक अलग राज्य के रूप में महत्व है 

विंध्य को लेकर पिछले दिनों लंबी चौड़ी रैली (Rally) निकाल चुके नारायण त्रिपाठी (Narayan Tripathi) का मानना है कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी विंध्य का एक अलग राज्य (State) के रूप में महत्व है और अलग विंध्य की स्थापना करके ही हम क्षेत्र का विकास (Development) कर सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि किसी विंध्य क्षेत्र के बच्चे को अच्छी पढ़ाई की जरूरत पड़ती है तो उसे जबलपुर (Jabalapur), इंदौर(Indore) ,भोपाल (Bhopal) या ग्वालियर (Gwalior) जाना पड़ता है।

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छत्तीसगढ़ राज्य का विकास अपने आप में उदाहरण 

ऐसा ही चिकित्सा सुविधाओं (Medical Facilities) के मामले में है और न्यायिक सेवाओं से लेकर तमाम ऐसे उदाहरण हैं जो विंध्य के अलावा पूरे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में फैले पड़े हैं ।नारायण त्रिपाठी ने इस बात का भी उल्लेख किया कि अलग छत्तीसगढ़ राज्य (Chhattisgarh State) बनने के बाद उस क्षेत्र का जिस तरह से विकास हुआ है वह अपने आप में एक उदाहरण है और विंध्य में अकेला सिंगरौली ही पूरे विंध्य के लिए विद्युत उत्पादन जैसी आवश्यकता की पूर्ति कर सकता है और यह एक उदाहरण मात्र है ।

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विंध्य का पर्यटन हो सकता है राजस्व का बड़ा स्रोत

उन्होंने कहा कि विंध्य का पर्यटन (Vindhya Tourism) राजस्व का बड़ा स्रोत हो सकता है जिस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया। विंध्य क्षेत्र को मंत्रिमंडल में केवल एक राज्य मंत्री दिए जाने से भी वे असंतुष्ट नजर आए और उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद विंध्य क्षेत्र का यह हाल निश्चित रूप से निराशाजनक है। नारायण त्रिपाठी अगले चरण में अब शहडोल में ताल ठोकने वाले हैं और उनके इरादे साफ तौर पर देखते हैं कि वह अब विंध्य से कम किसी भी बात पर सुनने को तैयार नहीं। हालांकि पार्टी इस मामले में क्या रुख अपनाती है, यह देखने वाली बात होगी।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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