कॉलेज की तानाशाही, फीस जमा न करने पर नर्सिंग स्टूडेंट्स को परीक्षा देने से रोका

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। एक सेमेस्टर की महज थोड़ी सी फीस बाकी रहने के कारण कॉलेज प्रबंधन ने विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए उन्हें फाइनल एग्ज़ाम में नहीं बैठने दिया। मामला पटेल कॉलेज ऑफ नर्सिंग रातीबड़ (Patel college of Nursing) का है। यहां जीएनएम (General Nursing and Midwifery) के करीब 10 छात्रों को आज परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया।

प्रायवेट कॉलेजों (private college) की मनमानी और असंवेदनशीलता के किस्से कम नहीं। इस बार नर्सिंग कॉलेज ने छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए फीस न भर पाने पर उन्हें परीक्षा देने से रोक  दिया। इस मामले में जीएनएम सैकेंड इयर के छात्रों ने एक वीडियो भी जारी किया है। इन्होने बताया कि इनकी कुछ फीस (college fees) थी जिसमें किसी की 5 हजार किसी की 10 हजार बाकी थी। इनकी कुल फीस करीब 50 हजार है, जिसमें से कुछ हिस्सा स्कॉलरशिप से भी आता है। लेकिन स्कॉलरशिप के पैसे आए नहीं हैं और कॉलेज दबाव बना रहा है कि वो अपनी जेब से फीस जमा कराएं। विद्यार्थी पिछले तीन दिन से कॉलेज प्रबंधन से गुजारिश कर रहे थे कि उन्हें फीस भरने के लिए चार पांच दिन की मोहलत दी जाए। आज से इनकी परीक्षाएं शुरू हो गई और कॉलेज प्रबंधन ने अमावीयता का परिचय देते हुए विद्यार्थियों का एडमिट कार्ड ले लिया और चले गए। विद्यार्थियों का कहना है कि एचओडी उनके परीक्षा केंद्रे में आए थे और उन्होने कहा कि रजिस्ट्रार के निर्देश हैं कि जिन छात्रों ने फीस नहीं भरी है उन्हें परीक्षा न देने दी जाए। इस तरह करीब 10 विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया। छात्रों का कहना है कि कोरोना काल में उनके घर में आर्थिक संकट गहरा गया है, लेकिन वो फीस जमा करते आए हैं और थोड़ी फीस ही बाकी थी जिसके लिए उन्होने मोहलत भी मांगी थी। लेकिन कॉलेज ने उनकी एक न सुनी और बच्चों के भविष्य की परवाह न करते हुए अपने अड़ियल रवैये पर कायम रहा।


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।