OBC Reservation: कमलनाथ के मास्टरस्ट्रोक से हलचल! काट ढूंढने में जुटी BJP

Pooja Khodani
Published on -
OBC Reservation

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आगामी चुनावों (Election 2021) से पहले मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27% आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर फिर जंग छिड़ गई है। वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए BJP हो या कांग्रेस दोनों ने OBC को साधना शुरु कर दिया है। एक तरफ जहां पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान के बाद सियासत गर्मा गई है, वही दूसरी तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत बीजेपी ने कांग्रेस को चौतरफा घेरना शुरु कर दिया है। इसी कड़ी में BJP पिछड़ा वर्ग मोर्चा ने तय किया है कि अब वो मोदी मंत्रिमंडल विस्तार (Modi Cabinet Expansion 2021) में शामिल किए गए नए चेहरों की जातिगत आधार पर व्याख्या कर इसे जनता के बीच ले जाएगी।

MP Weather Alert: मप्र में झमाझम के आसार, इन 6 जिलों में भारी बारिश की संभावना

भाजपा के पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष  भगतसिंह कुशवाह ने आज मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की भावना के अनुरूप इस मंत्रिमंडल में पिछड़ा वर्ग के सांसदों को पहली बार इतनी बड़ी संख्या में प्रतिनिधित्व दिया गया है। मोदी सरकार द्वारा हाल ही में किया गया मंत्रिमंडल का विस्तार इसका उदाहरण है।  मोदी सरकार का यह मंत्रिमंडल विस्तार अंत्योदय की दिशा में एक बड़ा कदम है।मोदी  सरकार से पहले केंद्र में ऐसी कई ऐसे दलों की सरकारें रही हैं, जिनके लिए पिछड़ा वर्ग सिर्फ वोटबैंक (OBC Reservation)  रहा है। यहां तक कि ऐसे क्षेत्रीय दल जिनकी राजनीति का आधार ही जाति और वर्ग रहे हैं, उन्होंने भी पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए कोई काम नहीं किया।

कैबिनेट मंत्री की बैठक से पहले हंगामा, पुलिस-किसानों के बीच झड़प, बैरीकेटिंग पर चढ़ाए टैक्टर

अध्यक्ष  भगतसिंह कुशवाह ने कहा कि देश की कुल आबादी का 52 प्रतिशत इस वर्ग में आता है, लेकिन इन दलों ने कभी भी ओबीसी  को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया। हाल ही के मंत्रिमंडल विस्तार में प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार ओबीसी के 27 सांसदों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है, जो 15 राज्यों से हैं। इनमें से 5 को कैबिनेट मंत्री और 22 को राज्यमंत्री बनाया गया है।  प्रधानमंत्री जी के इस निर्णय से देश में पहली बार ओबीसी को मंत्रिमंडल में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है।

विधेयक द्वारा पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक दर्जा दिया

कुशवाह ने कहा कि वर्ष 2014 में जब से केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार बनी है, यह सरकार सभी वर्गों के साथ-साथ पिछड़ा वर्ग के हितों की भी चिंता करती रही है।पिछड़ा वर्ग के कल्याण के प्रति संकल्पित प्रधानमंत्री  मोदी की सरकार ने वर्ष 2017 में 123 वां संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत कर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिसका लाभ पिछड़ा वर्ग के लोगों को मिलने लगा है।   देश के इतिहास में पहली बार पिछड़ा वर्ग को यह सम्मान मिला है और इसके लिए प्रदेश का पिछड़ा वर्ग मोर्चा इस वर्ग के सभी लोगों की ओर से प्रधानमंत्री  के प्रति आभार व्यक्त करता है।

चिंता थी तो ढंग से वर्कआउट करते- सीएम शिवराज सिंह चौहान

सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि कॉंग्रेस के नेता पिछड़े वर्ग के हितैषी होने का नाटक करते हैं। BJP हमेशा कमज़ोर वर्गों के साथ रही है। पिछड़े वर्ग के आरक्षण (OBC Reservation) के संबंध में जो भी प्रयास किये जा सकते हैं, हम हरसंभव कदम उठा रहे हैं। हम पिछड़ा वर्ग समेत सभी वर्गों के कल्याण के लिए कटिबद्ध हैं।जितना नुकसान कॉंग्रेस ने अनुसूचित जाति/जनजाति या पिछड़ा वर्ग का किया है, उतना कोई कर ही नहीं सकता! पिछड़ा वर्ग के वोटबैंक के लिए केवल अध्यादेश जारी कर दिया गया और बाद में इन्हीं ने स्टे करवा दिया। यदि पिछड़े वर्ग की चिंता थी तो ढंग से वर्कआउट करना चाहिए था।

क्या है कमलनाथ के बयान के सियासी मायने

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने ट्वीट करके मप्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस की सरकार ने 27% आरक्षण ओबीसी के लिए कर दिया था।लेकिन बीजेपी सरकार की आई तो उसने इस आरक्षण (OBC Reservation) को आगे बढ़ाने का काम नहीं किया। यही कारण है कि अभी भी ओबीसी वर्ग इस आरक्षण से वंचित है। कमलनाथ के इस ट्वीट ने सियासी गलियारों और बीजेपी में हलचल मचा दी है। यही कारण है कि बीजेपी कांग्रेस और कमलनाथ पर हमलावर हो गई है और इसका काट ढूंढने में जुटी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कुल आबादी में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा इस वोटबैंक को साधने में कौन कामयाब होता है।

MPPSC Calendar 2021: नवंबर में होगी मुख्य परीक्षा 2020, यहां देखें पूरा एग्जाम शेड्यूल


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News