दुर्गा उत्सव की छूट देने पर कमल नाथ ने कहा – प्रदेश में केवल “भाजपा उत्सव” को ही खुली छूट

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में आगामी उपचुनाव (By-election) से पहले लगातार घर्म (Religion) को लेकर राजनीति (Politics) गर्मा रही है। इन दिनों दोनों ही प्रमुख दल धर्म को मुद्दा बनाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहें है। हिंदुत्व (Hindutva) के मुद्दे पर हमेशा से अपनी पार्टी लाइन से अलग चलने वाले पीसीसी चीफ कमल नाथ (PCC Chief Kamal Nath) ने दुर्गा उत्सव (Durga Utsav) मनाने की छूट देने पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए शिवराज सरकार (Shivraj Government) पर तंज कसा है।

भाजपा उत्सव को थी खुली छूट

कमल नाथ ने ट्वीट कर लिखा है कि, “प्रदेश में दुर्गा उत्सव मनाने की छूट दी गई है, धार्मिक आयोजन को भी छूट मिली है, उन्होंने लिखा कि अब सार्वजनिक पांडालो में माँ दुर्गा की प्रतिमाएँ स्थापित हो सकेगी। सरकार पर तंज कसते हुए कमल नाथ ने कहा देर आये दुरुस्त आये। गणेश उत्सव में भी धर्मप्रेमी जनता माँग करती रही लेकिन अभी तक प्रदेश में सिर्फ़ “भाजपा उत्सव” को ही खुली छूट थी।

 

शराब की दुकाने खुली छूट के दायरे में

कमल नाथ ने लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकानों को छूट देने पर अपने अन्य ट्वीट में लिखा है कि, प्रदेश में शिवराज सरकार में एक तरफ़ जहाँ धार्मिक स्थल व आयोजन प्रतिबंध के दायरे में थे, वही शराब की दुकाने खुली छूट के दायरे में।

 

बता दें कोरोना संक्रमण के चलते सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक कार्यक्रमों पर पूरी तरह रोक लगी हुई थी। इसके चलते गणेश चतुर्थी में भी सार्वजनिक स्थानों पर ना तो झांकी सजाई गई थी और ना ही मूर्ति का विसर्जन करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन अब जब लॉकडाउन के तहत पूरी तरह शहर को खोल दिया गया है ऐसे में सरकार ने नव दुर्गा के दौरान मूर्ति स्थापित करने की अनुमति देने की घोषणा की है। हालांकि इस दौरान 100 से अधिक लोगों एक साथ जमा नहीं हो सकेंगे। सरकार के इस फैसले से मूर्तिकारों के साथ ही धार्मिक संगठनों में भी खुशी की लहर है। हालांकि इस बार मनमर्जी से मूर्ति की ऊंचाई संगठन तय नहीं कर सकेंगे। इन्हें कलेक्टर के द्वारा तय ऊंचाई की मूर्ति रखने की अनुमति होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लॉकडाउन खुलने और जीवन सामान्य होने के साथ-साथ कोविड-19 सार संभावित है। कोरोना से बचाव और जनजीवन को सामान्य बनाने के लिए पुनरीक्षित गाइडलाइन का क्रियान्वयन आवश्यक है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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