भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। स्कूल शिक्षा विभाग (School Education) कक्षा 9वीं और 11वीं के छात्र छात्राओं को लेकर आज बड़ा फैसला ले सकता है। दरअसल कोरोना (Corona) के चलते पूरा शिक्षण सत्र ही निपट गया और बच्चों की पढ़ाई तक नहीं हो पाई। 1 अप्रैल से स्कूल खोलने का निर्णय कोरोना के बढ़ते आंकड़ों को चलते सरकार को वापस लेना पड़ा। अब सरकार दो विकल्पों पर विचार कर आज निर्णय ले सकती है।
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सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्र छात्राओं को लेकर सरकार सोमवार को बड़ा निर्णय लेगी। दरअसल पिछले शिक्षण सत्र में भी कोरोना के चलते कक्षा 9 और 11 के पेपर पूरे नहीं हो पाए थे और फिर सरकार ने निर्णय लिया था कि ऐसे सभी छात्र- छात्राओं को जनरल प्रमोशन के माध्यम से अगली कक्षा में पहुंचा दिया जाए। इस वर्ष का शिक्षण सत्र भी पूरी तरह से चौपट हो गया और ज्यादातर समय ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से ही पढ़ाई कराई गई। सरकार ने कोरोना की लहर कम होने के समय या निर्णय लिया था कि एक अप्रैल से कक्षा 9 से 12 तक की क्लासेस एक बार फिर शुरू कर दी जाए। लेकिन जिस तरह से कोरोना की लहर आई और आंकड़े तेजी से बढ़े, सरकार ने एक बार फिर स्कूलों में 15 अप्रैल तक कक्षा 9 से 12 तक के छात्र-छात्राओं के आने पर रोक लगा दी। आंकड़े अभी भी लगातार बढ़ रहे हैं और एक बार फिर 15 अप्रैल के बाद यह निर्णय सरकार को लेना ही पड़ेगा कि स्कूलों में छात्र-छात्राएं ना आएं।
शिक्षण सत्र समाप्त होने को है और अब परीक्षाएं भी लेनी है लेकिन ऑफलाइन परीक्षा कराना बड़ा जोखिम है और इससे कोरोना संकमण तेजी से बढ़ सकता है। इसके चलते सरकार दो विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला, छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन ही परीक्षा दिलवाई जाए यानि घर पर ही वे अपने उत्तर लिखकर स्कूलों में जमा कर दें और उसके आधार पर उनका परीक्षा परिणाम घोषित किया जाए। दूसरा विकल्प, एक बार फिर जनरल प्रमोशन का बनता है कि कक्षा 9 व 11 के छात्र- छात्राओं को बिना परीक्षा लिए अगली कक्षा के लिए योग्य मान लिया जाए। जाहिर सी बात है कि इससे योग्य अयोग्य दोनों तरह के छात्र छात्राओं को फायदा होगा। लेकिन मजबूरी यह है कि कोरोना का डर इस मजबूरी के आगे फीका है।
कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा होती है और किसी भी छात्र छात्रा के जीवन में यह एक मील का पत्थर होती है। इन परीक्षाओं को भी अप्रैल माह में शुरू होना है लेकिन इस बात की व्यापक संभावना है कि इन परीक्षाओं की तिथि भी आगे बढ़ाई जाए। इन सबके बीच सबसे बड़ी विडंबना यह है कि स्कूली शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है और नई कक्षाओं की पढ़ाई पुरानी कक्षाओं के छात्र-छात्राओं के कारण अटकी पड़ी है। मतलब जब तक परीक्षाएं नहीं हो जाती या इसे लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक नए सत्र में कुछ नहीं हो सकेगा।