भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राजधानी स्थित सरकारी आवास पर तीन दिन पहले कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के पहुंचने को लेकर लगाई जा रहीं अटकलों से पर्दा साफ हो गया है। सिंधिया राजधानी में अपने लिए बंगला देखने के लिए शिवराज के घर गए थे। राज्य सरकार की ओर से सिंधिया से आग्रह किया था कि शिवराज सिंह चौहान अगले एक महीने में नए बंगले में शिफ्ट होने वाले हैं, तब वह बंगला उनके लिए आवंटित किया जा सकता है। सिंधिया ने पूर्व गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह का बंगला मांगा था, लेकिन भूपेन्द्र सिंह ने अप्रेल तक बंगला खाली करने से मना कर दिया है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले 6 माह से भोपाल में सरकारी बंगले की मांग कर रहे हैं। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी पत्र लिखकर सांसद कोटे से बंगला मांगा था। लेकिन शिवराज ने उन्हें बंगला नहीं दिया। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सिंधिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर चार इमली स्थित पूर्व गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह का बंगला मांगा। कमलनाथ ने सिंधिया का पत्र गृह विभाग को भेज दिया। इसकी खबर लगते ही भूपेन्द्र सिंह ने भी गृह विभाग को अप्रेल के पहले बंगला खाली न करने की जानकारी दे दी। सूत्रों के अनुसार गृह विभाग ने सिंधिया को सलाह दी थी कि भोपाल में भूपेन्द्र सिंह के बंगले के बाद सबसे शानदार बंगला शिवराज सिंह चौहान का है। चौहान अगले एक माह में प्रोफेसर कालोनी स्थित दूसरे बंगले में शिफ्ट होने वाले हैं। यदि सिंधिया चाहें तो यह बंगला उन्हें अलाट किया जा सकता है। पिछले भोपाल प्रवास के दौरान सिंधिया ने स्वयं शिवराज को फोन कर उनका बंगला देखने की इच्छा जाहिर की और उनके बंगले पर पहुंचे। देर रात हुई मुलाकात को लेकर तरह-तरह की अटकलें शुरू हो गईं। मजेदार बात यह है कि इन दोनों नेताओं ने इन अटकलों का सच आज तक छुपा कर रखा है। अभी यह पता नहीं चल सका है कि सिंधिया ने बंगला देखने के बाद इसे अलाट करने की सहमति दी है या नहीं।
प्रभात भी नहीं कर रहे बंगला खाली
राज्यसभा सदस्य प्रभात झा ने भोपाल में सरकारी बंगला खाली करने से इंकार कर दिया है। उनका बंगला खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को आवंटित किया गया था। राज्य सरकार ने अब प्रद्युम्न सिंह तोमर को पूर्व मंत्री शरद जैन वाला सी-18 शिवाजी नगर में बंगला अलाट कर दिया है। यहां बता दें कि प्रभात झा जब भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष थे, तब उस बंगले में लाखों रुपए की लागत से काम किया गया था। हालांकि प्रदेश में सत्ता जाने के बाद से झा का राजधानी में आना-जाना कम हो गया है।