भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार जहां इस समय जय किसान फसल ऋण माफी योजना के लिए पूरी तरह से जुटी हुई है, वहीं दूसरी ओर योजना के क्रियान्वयन के दौरान बड़े-बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं। कई जगहों से ऐसी गंभीर शिकायत आयी है जहां किसानों ने लोन लिया ही नहीं लेकिन ऋण उनके नाम चढ़ा हुआ है। इन सारे मामलों में सहकारी समितियों के अधिकारियों की गंभीर लापरवाही व मिलीभगत साफ तौर पर सामने आ रही है। अब एक और खुलासा हुआ है। प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने, जो सहकारिता के विशेषज्ञ माने जाते हैं, प्रमुख सचिव सहकारिता अधिकारी को पत्र लिखकर सहकारी समितियों के द्वारा एक और गड़बड़ी की जाने की ओर इशारा किया है।
दरअसल 2007 में भारत सरकार ने कृषक ऋण माफी की राहत योजना के अंतर्गत किसानों के कर्ज माफ किए थे जिसमें मध्य प्रदेश में 200 करोड़ रू की गंभीर आर्थिक अनियमिताये प्रकाश में आई थी। इस मामले में राज सरकार ने श्वेत पत्र भी जारी किया था। अब यह खुलासा हो रहा है कि ऐसे ही घोटाले वाले मामलों में सहकारी समितियों ने ऋण की वापसी प्रविष्टि 2011 -12 में की और अब इसे 2011- 12 का ऋण वितरण बताकर वर्तमान योजना में ऋण माफी के प्रयास किए जा रहे हैं जबकि साफ तौर पर 1 अप्रैल 2007 के बाद लिए गए ऋण प्रकरणों पर ही यह वर्तमान योजना लागू है। यह मामला जानकारी मे आते ही सहकारिता मंत्री ने प्रमुख सचिव सहकारिता को पत्र लिखा है। प्रमुख सचिव अजीत केसरी को लिखे पत्र में सहकारिता मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने साफ लिखा है कि ऐसे मामलों वह वर्तमान ऋण योजना में लाभ ना दिया जाए क्योंकि ऐसा करना पुराने घोटालों की पुनरावृति करना होगा। हैरत की बात यह है कि 22 जनवरी को लिखे गए सहकारिता मंत्री के इस पत्र को प्रमुख सचिव सहकारिता अजीत केसरी अभी तक अपने पास रखे बैठे हैं और उन्होंने निचले स्तर पर इस मामले में कार्यवाही की कोई निर्देश नहीं दिए हैं। एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ हर मंच से कह रहे हैं कि सहकारिता मामलों में हुई गड़बड़ी को और दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा और हर संभव वास्तविक हितग्राहियों को ही जय जवान फसल ऋण योजना का लाभ देने के प्रयास होंगे वहीं दूसरी और प्रमुख सचिव सहकारिता की यह गंभीर लापरवाही समझ से परे है