Shivraj Cabinet Decision : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में कैबिनेट की बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें 6 बड़े फैसले लिए गए। इसमें अजा एवं अजजा वर्ग के उद्यमियों को स्टार्ट-अप के लिये 18 से 72 लाख रूपये की सहायता मिलेगी। वही दमोह में नवीन चिकित्सा महाविद्यालय के लिए 266 करोड़ 71 लाख रूपये की स्वीकृति दी गई है।
मप्र स्टार्ट-अप नीति एवं कार्यान्वयन योजना-2022 में संशोधन
मंत्रि-परिषद द्वारा म.प्र स्टार्ट-अप नीति एवं कार्यान्वयन योजना-2022 में संशोधन कर महिलाओं के समान अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के उद्यमियों को भी सुविधाएँ प्रदान करने का निर्णय लिया गया। इनमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के उद्यमियों द्वारा स्थापित स्टार्ट-अप को प्राप्त फंडिंग/निवेश पर कुल 18 प्रतिशत अधिकतम रूपये 18 लाख की सहायता एवं चार चरण में अधिकतम रूपये 72 लाख की सीमा में देय होगी। अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के उद्यमी द्वारा प्रवर्तित स्टार्ट-अप में उनकी भागीदारी 51 प्रतिशत होनी चाहिए।
दमोह में नवीन चिकित्सा महाविद्यालय के लिए 266 करोड़ स्वीकृति
मंत्रि-परिषद ने दमोह में नवीन चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित किये जाने के लिए परियोजना परीक्षण समिति की अनुशंसा अनुसार निर्माण कार्यों के लिये 266 करोड़ 71 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की। दमोह, टीकमगढ़ एवं पन्ना क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के अनुसार दमोह के मध्य में स्थित होने तथा इन तीनों क्षेत्रों से अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों की दूरी लगभग 100 कि.मी. से अधिक होने के कारण इस निर्णय से दमोह तथा समीपस्थ जिलों की जनता को तृतीयक स्तर की चिकित्सकीय सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेंगी। साथ ही प्रदेश के छात्रों के लिये चिकित्सा क्षेत्र की 100 एम.बी.बी.एस. सीट्स की भी वृद्धि हो सकेगी।
वन्य-प्राणियों द्वारा की जाने वाली जनहानि क्षतिपूर्ति में वृद्धि
मंत्रि-परिषद ने वन्य-प्राणियों द्वारा की जाने वाली जनहानि, जनघायल करने एवं पशुहानि पर दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि 4 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने के वन विभाग के आदेश का कार्योत्तर अनुमोदन किया।
साहित्यकारों एवं कलाकारों को 25000 से 1 लाख तक सहायता राशि
- मंत्रि-परिषद ने प्रदेश के जरूरतमंद साहित्यकारों एवं कलाकारों की लम्बी तथा गंभीर बीमारी, दुर्घटना, दैवीय विपत्ति एवं मृत्यु हो जाने की स्थिति में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए संस्कृति विभाग में संचालित योजना कलाकार कल्याण कोष को संशोधित करते हुए, नवीन “मध्यप्रदेश कलाकार कल्याण कोष नियम-2023” जारी करने की स्वीकृति प्रदान की।
- पहले की योजना में प्रदेश के जरूरतमंद साहित्यकारों एवं कलाकारों को गंभीर बीमारी, दुर्घटना, दैवीय विपत्ति एवं मृत्यु हो जाने की स्थिति में 500 से 5 हजार रूपये तक की सहायता देने का ही प्रावधान था।
- नवीन योजना में गठित सक्षम समिति की सिफारिश पर मंजूर की जाने वाली राशि न्यूनतम 25 हजार से लेकर अधिकतम 1 लाख रूपये तक की जाना है, जिसमें कलाकार/साहित्यकार की मृत्यु की स्थिति में उनके उत्तराधिकारी को एकमुश्त अधिकतम एक लाख तथा चिकित्सा उपचार के लिए अधिकतम 50 हजार रूपये दिए जा सकेंगे।
- शारीरिक रूप से दिव्यांग कलाकार / साहित्यकार को दिव्यांगता के उपचार के लिए अधिकतम एक लाख रूपये दिये जा सकेंगे। परिवार के सदस्यों में साहित्यकार / कलाकार की आश्रित पत्नी/पति, आश्रित माता-पिता, आश्रित नाबालिग भाई-बहन, आश्रित नाबालिग संतान एवं आश्रित विधवा पुत्री के साथ आश्रित दिव्यांग भाई- बहन को भी आश्रितों में सम्मिलित किया जायेगा।
ताप एवं जल विद्युत गृहों में नवीनीकरण के लिये 85 करोड़ का अनुमोदन
- वर्ष 2012 में राष्ट्रीय ग्रिड में खराबी आने के बाद केन्द्र सरकार ने ट्रांसमिशन प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए स्थापित पॉवर सिस्टम डेवलपमेंट फण्ड से म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के विदयुत गृहों में स्थित 400/220 के. व्ही. सब स्टेशनों में विभिन्न कार्य जिनकी कुल लागत 85 करोड़ 35 लाख रूपये है, का अनुमोदन मंत्रि-परिषद द्वारा दिया गया।
- इस कार्य के लिए राज्य मंत्रि-परिषद ने शासन द्वारा 6 करोड़ 54 लाख रूपये अंशपूँजी के रूप में, पॉवर सिस्टम डेवलपमेंट फण्ड से 58 करोड़ 86 लाख रूपये अनुदान के रूप में तथा म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी द्वारा 19 करोड़ 95 लाख रूपये उपलब्ध कराए जाने का अनुमोदन किया।
नर्मदा घाटी विकास विभाग
इसके अलावा नर्मदा घाटी विकास विभाग में कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों को लेकर भी बड़ा फैसला किया गया है। सरकार ने नर्मदा घाटी विकास विभाग में 6474 अस्थाई पदों की निरंतरता करने का फैसला किया है। वहीं, इन पदों को जारी रखने के लिए नर्मदा घाटी विकास विभाग को प्राधिकृत करने संबंधी स्वीकृति दी गई है। मंत्रि-परिषद ने नर्मदा घाटी विकास विभाग के 6 हजार 474 अस्थाई पदों की 31 मार्च 2026 तक के लिए निरंतरता का अनुमोदन करते हुए नर्मदा घाटी विकास विभाग को प्राधिकृत किया।