ये है सरकार बनने के पीछे का गणित, 40 सीटें तय करेंगी कौन करेगा मप्र में राज

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भोपाल। मप्र में क्या भाजपा चौथी बार लगातार सत्ता में आएगी या कांग्रेस का 15 साल का वनवास खत्म होगा। ये पूरा गणित 40 उन सीटों पर टिका है जहां दोनों दलों के बीच कांटे का मुकाबला है। हमने सभी 52 जिलों में अपने मित्रों से बात करके एक सर्वे करने की कोशिश की है, जो रिजल्ट के लिए कयास लगा रहे दोस्तों को रिजल्ट के करीब पहुंचने में मदद करेगा। प्रदेश की 40 सीटों पर कांटे की टक्कर है। इन चालीस सीटों को छोड़ दें तो पूरे प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस बराबरी पर नजर आते है। 

सत्ताधारी दल भाजपा सिर्फ बुंदेलखंड में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस के दो बडे़ नेता मुकेश नायक पवई और सुरेंद्र चौधरी नरयावली को हार का सामना करना पड़ सकता है। इसी तरह कांग्रेस की देवरी, खरगापुर और जतारा सीट भी जा रही है। बदले में कांग्रेस सुरखी, पथरिया, टीकमगढ और बिजावर जीत सकती है। बंडा में मुकाबला बहुत कांटे का है। बुंदेलखंड की बाकी सीटों पर भाजपा उम्मीदवार कंफर्टेबल पोजीशन में है। पृथ्वीपुर सीट भाजपा सिर्फ उम्मीदवार चयन के कारण गंवा रही है। भाजपा के एक बडे़ नेता पर इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार की मदद के लिए कमजोर प्रत्याशी देने के आरोप है। पृथ्वीपुर में मुकाबला सपा और कांग्रेस के बीच है। दमोह में जयंत मलैया के खिलाफ खडे़ होकर रामकृष्ण कुसमारिया ने उनकी राह आसान कर दी है, कारण भाजपा विरोधी वोट दो जगह बंट गया है।


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