World Day Against Child Labor 2024 : आज विश्व बाल श्रम निषेध दिवस है। इसे मनाने के पीछे उद्देश्य है कि बाल श्रम ख़त्म किया जा सके और हर बच्चे को उसका बचपन जीने का अधिकार मिले। इसे लेकर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि बाल श्रम एक सामाजिक अपराध है और हम सभी को इसमें उन्मूलन के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस
बाल श्रम एक गंभीर सामाजिक समस्या है जो बच्चों के बचपन, उनकी शिक्षा और उनके समग्र विकास को बाधित करती है। इस समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने और बाल श्रम समाप्त करने के लिए हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार शिक्षा, खेल और समुचित विकास का अधिकार है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस हमें याद दिलाता है कि बाल श्रम एक वैश्विक समस्या है जिसे समाप्त करने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। बच्चों का अधिकार है कि वे स्वतंत्रता, शिक्षा, और खुशहाल बचपन का आनंद लें। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी बच्चा बाल श्रम का शिकार न हो और उन्हें उनके सपनों को साकार करने का अवसर मिले।
इस साल की थीम
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत 2002 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा की गई थी। ILO ने इस दिन को मनाने का फैसला किया ताकि बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता फैलाई जा सके और इसे समाप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें। ILO की स्थापना 1919 में हुई थी और इसका उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा करना और कार्यस्थल पर उचित परिस्थितियों को सुनिश्चित करना है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन हर साल के लिए एक थीम चुनता है और इस साल की थीम है ‘आइए अपनी प्रतिबद्धाताओं पर काम करें: बाल श्रम समाप्त करें’ (Let’s act on our commitments: End child labour) और इस थीम के साथ विश्वभर में सभी से बाल मज़दूरी ख़त्म करने की दिशा में सहयोग की अपेक्षा की गई है।
उद्देश्य
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का मुख्य उद्देश्य बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना और इसे समाप्त करने के लिए समाज, सरकारों, संगठनों, और व्यक्तियों को प्रेरित करना है। इस दिवस का उद्देश्य निम्नलिखित है:
- जागरूकता फैलाना: लोगों को बाल श्रम के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करना ताकि वे इसके खिलाफ सक्रिय रूप से काम कर सकें।
- नीतियों को लागू करना: सरकारों और संगठनों को बाल श्रम निषेधक नीतियों को कड़ाई से लागू करने के लिए प्रेरित करना।
- शिक्षा का प्रोत्साहन: बच्चों को शिक्षा के महत्व के बारे में बताना और उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए प्रेरित करना।
- सहयोग बढ़ाना: समाज, सरकारी संगठनों, और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना ताकि बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास किए जा सकें।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कही ये बात
आज के दिन कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा है कि ‘प्रत्येक बच्चा स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा का हकदार है। बालश्रम एक सामाजिक अपराध है। बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 का अधिनियमन एक राष्ट्रीय प्रयास है जिससे भारत में बाल श्रम में काफी कमी आई है। 2001 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक 5-14 साल की उम्र के बीच 1.26 करोड़ कामकाजी बच्चे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, समान आयु वर्ग में कामकाजी बच्चों की संख्या घटकर 43.53 लाख हो गई। वर्तमान दशकीय जनगणना के अभाव में, जो अनिश्चित काल तक विलंबित हो चुकी है, हम इस महत्वपूर्ण डेटा में बदलाव को नहीं जानते हैं। हालाँकि, हाल के वर्षों में, कुछ कानूनी संशोधनों और बाल संरक्षण बजट में कटौती के साथ-साथ COVID-19 के प्रभाव के कारण, बच्चों को वापस शोषणकारी श्रम में धकेलने की खबरें आई हैं। आर्थिक विकास न तो पर्याप्त है और न ही इतना समावेशी कि उस दबाव से राहत पा सके जो बहुत सारे परिवार और समुदाय महसूस करते हैं और जिसके कारण वे बाल श्रम का सहारा लेते हैं। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर, आइए हम बचपन की सुरक्षा और भारत में बाल श्रम को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हों।’
Every child is entitled to health, education, and protection. Child labour is a social crime.
The enactment of Child Labour (Prohibition & Regulation) Act, 1986 is a national endeavour which has considerably reduced child labour in India.
According to the Census 2001 figures… pic.twitter.com/aQQSqqtpch
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 12, 2024