Creatinine Increasing: कई लोग क्रिएटिनिन के बारे में नहीं जानते है। क्या होता है क्रिएटिनिन? दरअसल क्रिएटिनिन का बढ़ना और घटना किडनी के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है। इसी से किडनी स्वस्थ रहती है। तो चलिए आज हम इसके बारे में सब कुछ जानेंगे। आज इस लेख में हम जानेंगे की इसका किडनी से क्या संबंध होता है? और इसे बढ़ने से कैसे रोका जा सकता है?
दरअसल किडनी शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। इसका काम हमारे शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने का होता है। आपको बता दें किडनी आपके शरीर में खून को 24 घंटे फिल्टर करता है। लेकिन ऐसे में अगर आपकी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है, तो आपको अपने शरीर में खून को साफ करने के लिए डायलिसिस से गुजरना पड़ेगा। दरअसल डायलिसिस में खून को मशीन द्वारा साफ किया जाता है।
हालांकि डायलिसिस की जरूरत हमें किडनी के फेल हो जाने पर पड़ती है। अगर किसी की किडनी फेल होना शुरू हो जाती है, तो ऐसे में शुरुआती लक्षण से भी पता लगाया जा सकता है। हालांकि इसके लिए भी कुछ टेस्ट से व्यक्ति को गुजरना पड़ता है। दरअसल इसे सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट कहा जाता है। क्रिएटिनिन की मात्रा हमें बता सकती है की हमारी किडनी स्वस्थ है या नहीं।
क्या होता है क्रिएटिनिन? चलिए समझते है:
दरअसल क्रिएटिनिन एक प्रकार का प्रोटीन होता है। वहीं इस प्रोटीन को हमारे शरीर में मौजूद मांसपेशियों द्वारा बनाया जाता हैं। दरअसल ऐसा कह सकते है की क्रिएटिनिन इसका अपशिष्ट उत्पाद है। जिसमें हमारे शरीर में मौजूद गुर्दे इसे छानकर शरीर से बाहर निकाल देते हैं। लेकिन अगर किसी व्यक्ति की किडनी काम करना बंद कर देती है तो ऐसे में उसके शरीर में यह क्रिएटिनिन जमा होने लगता है।
हालांकि कई बार ऐसा भी हो सकता है कि किसी कारणवश शरीर में क्रिएटिनिन की अधिक मात्रा होने लगती है। जैसे कि मांसपेशियों द्वारा ज्यादा मात्रा में क्रिएटिनिन बनाना। दरअसल जानकारों की माने तो शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा 0.9 से 1.2 तक होती है। ऐसे में हमें यह समझना जरूरी है की क्रिएटिनिन की मात्रा अगर यह बढ़ जाए तो क्या किडनी की कार्यक्षमता कम हो गई है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति की क्रिएटिनिन का लेवल 1.2 से ज्यादा हो तो किडनी डॉक्टर से सलाह लेना उसे जरूरी हो जाता है।
(डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)