जुखाम को ना करें नजरअंदाज, हो सकता है खतरनाक

Gaurav Sharma
Published on -

हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। सदियां आई नहीं कि सभी माताएं अक्सर चिल्लाना शुरु कर देती हैं, कपड़े पहन लो नहीं तो जुखाम हो जाएगा, सिर ढक के बाहर निकलना सर्दी लग जाएगी, और होता भी यही है, ज़रा सी चूक और हो गया जुखाम। फिर क्या अदरक की चाय, सोंठ का हलवा, और न जाने क्या क्या। पर क्या हो जब इतने कुछ के बाद भी जुखाम जस का तस रहे?

यह भी पढ़ें…UGC NET Phase 2 Exam 2021: द्वितीय चरण परीक्षा का एडमिट कार्ड जारी, यहां करें डाउनलोड

बात करें मेडिकल भाषा की तो जुखाम एक तरीके का वायरल इन्फेक्शन है जिस वजह से इंसान को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जैसे नाक–कान बंद होना, खांसी और छींके आना, सर दर्द होना, गले में खराश होना या इंसान को बुखार भी आ सकता है। अक्सर देखा गया है कि साधारण जुखाम ज्यादातर 10 से 15 दिन में बिना इलाज या इलाज के साथ खुद ही ठीक हो जाता है। व्यस्कों के मुकाबले जुखाम बच्चों में ज्यादा और जल्द होता है, इनमें भी सबसे ज्यादा 6 से 10 साल के बच्चे बुखार और सर्दी की चपेट में आते हैं। खासतौर पर ऐसे बच्चे जिनके परिवार के बड़े सदस्य धूम्रपान करते हैं या जो बच्चे कैंसर, हृदयारोग, अस्थमा, सीओपीडी जैसी बीमारियों से ग्रसित हों उन्हें सर्दी जुखाम होने की संभावना सबसे अधिक होती है।

यह भी पढ़ें…Vyapam Recruitment 2021:12वीं पास के लिए बंपर भर्ती, जनवरी में होगी परीक्षा, जानें आयु-पात्रता

डॉक्टरों की मानें तो यदि किसी भी इंसान के जुखाम को 2 हफ्ते से ज्यादा हो चुके हैं, या जिन्हें बार बार जुखाम की समस्या रिपीट हो रही है तो निश्चित ही ये जुखाम के साथ किन्ही दूसरे इन्फेक्शन के भी लक्षण हो सकते हैं, ऐसे में उन्हें जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

यह भी पढ़ें…Google ने बनाया Winter को समर्पित Doodle बनाया, जानिए 21 दिसंबर क्यों है खास

चिकित्सकों के अनुसार जुखाम के साथ बुखार आता ही है ऐसा ज़रूरी नहीं है, लेकिन अगर बुखार आए और 100 F से ज्यादा हो, तो तुरंत ही अच्छे चिकित्सक से सलाह कर इलाज कराना चाहिए। इसके अलावा जुखाम की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी कई बार कम हो सकती है जिससे ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, गले का संक्रमण , बुखार, सरदर्द, सीने में दर्द, बलगम, सांस का उखाड़ना जैसी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती हैं, ऐसे में जल्द से जल्द इलाज के लिए चिकित्सक से परामर्श होना चाहिए।

किन लक्षणों को न करें नज़रंदाज़

बच्चों में

1. जब बुखार को तीन दिन से ज्यादा हो गए हों या बुखार 103 F और इससे ज्यादा हो।

2. ऊपर बताए लक्षण को पांच दिन या उससे ज्यादा समय होगया हो।

3. सांस लेने में तकलीफ हो या सांस लेते में सीटी जैसी आवाज आ रही हो।

4. यदि स्किन का रंग थोड़ा नीला दिख रहा हो।

5. एक दिन से ज्यादा कान में दर्द हो या कान से पानी बह रहा हो।

6. यदि बच्चा बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा हो रहा हो।

7. शुरुआत में सर्दी के लक्षण कम हो पर धीरे-धीरे परेशानी बढ़ती जा रही हो।

व्यस्कों में

1. 102 F या इससे ज्यादा बुखार लगातार कुछ दिन तक हो

2. यदि सिम्टम्स देखते हुए दस दिन और उससे अधिक हो गए हो।

3. जब सांस लेने में तकलीफ हो या सांस उखड़े।

4. जब छाती में दर्द महसूस हो या वजन महसूस हो।

5. जब आपको ऐसा महसूस हो कि आप कभी भी बेहोश हो सकते हैं।

6. जब आप नॉर्मल होकर भी कंफ्यूज सा महसूस करें।

7. जब आपको लगातार उल्टियां हो।

8. जब आप के चेहरे और माथे पर बहुत ज्यादा दर्द हो।

डिस्क्लेमर : यह जानकारी इंटरनेट के विभिन्न स्रोतों से प्राप्त की गई है, एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है। स्वास्थ्य से संबंधित सलाह अपने चिकित्सक से अवश्य लें।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News