Kulfa Saag Bemefits: सर्दियों के मौसम में मीठी-मीठी धूप और सर्द हवाओं का अपना अलग मजा है। इसके साथ ही इस मौसम में खानपान का भी अपना अलग मजा है। इस मौसम में अनेकों सब्जियां पाई जाती है जो न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट लगती है बल्कि सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। सर्दियों का मौसम हो और साग ना खाया जाए यह कैसे हो सकता है। सर्दियों के मौसम को साग का मौसम कहा जाता है। इस मौसम में चने का साग, बथुआ, मेथी का साग, सरसों का साग आदि को बड़े चाव से खाया जाता है। इन्हीं सागो में से एक हैं कुल्फा साग, जो न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट लगता है बल्कि सर्दियों में होने वाली बीमारियों को दूर करता है।
कहां पाया जाता है कुल्फा साग
कुल्फा साग को आमतौर पर बाग बगीचों, मैदान और सड़क के किनारों पर देखा जाता है। इसकी पत्तियों और डंठल दोनों को ही खाने में उपयोग किया जाता है। कुल्फा साग में विटामिन, मिनरल्स, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर जैसे कई पोषक गुण पाए जाते हैं।
कुल्फा साग खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं
हड्डियों को मजबूत करें
सर्दियों के मौसम में कुल्फा सांग का सेवन करने से हड्डी और दांतों में मजबूती बनी रहती है। इसका सेवन करने से शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी होती है।
इम्यूनिटी बूस्ट करें
सर्दियों के मौसम में शरीर कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। ऐसे में इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए सर्दियों के मौसम में कुल्फा साग का सेवन जरूर करना चाहिए। कुल्फा साग एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है जो शरीर को ताकत देता है।
आंखों के लिए फायदेमंद
कुल्फा साग को खाने से विटामिन ए और बीटा कैरोटिन की मात्रा शरीर में जाती है। जिस वजह से आंखों की रोशनी तेज होती है और आंखों से संबंधित बीमारियां भी दूर हो जाती है।
दिल को बनाए सेहतमंद
कुल्फा साग में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर के खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। शरीर से बेड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करके दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
डायबिटीज में फायदेमंद
कुल्फा साग का सेवन करने से डायबिटीज की समस्या दूर हो जाती है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को कुल्फा साग का सेवन करने की सलाह दी जाती है। यह खून में ग्लूकोज और शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है।
डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।