Winter depression : क्या आपको भी कभी ठंड के मौसम में उदासी या डिप्रेशन जैसा महसूस होता है। इस मौसम में अक्सर ये समस्या देखी जाती है। सर्दियों में होने वाले डिप्रेशन को ‘विंटर डिप्रेशन’ या ‘सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर’ (SAD) कहा जाता है। ये एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जो ठंड के महीनों में बढ़ जाती है। इसमें व्यक्ति को उदासी, थकान, चिड़चिड़ापन और अन्य लक्षण महसूस होते हैं।
सर्दियों में डिप्रेशन अगर लंबे समय तक रहे या बार-बार रिपीट हो तो ये गंभीर स्थिति हो सकती है। इस मामले में अच्छी बात ये है कि ऐसा सामानयतया मौसम की वजह से होता है तो इसकी भी एक सीमित अवधि होती है। साथ ही, सही उपायों को अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सूरज की रोशनी, शारीरिक गतिविधि, संतुलित आहार, योग और पर्याप्त नींद जैसे साधारण उपायों से मानसिक स्थिति को बेहतर किया जा सकता है। लेकिन लक्षण गंभीर हो तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।
क्या होता है Winter depression या Seasonal Affective Disorder
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) या सर्दियों में डिप्रेशन एक प्रकार का मानसिक विकार है, जो विशेष रूप से ठंडे महीनों में दिखाई देता है। इसे “विंटर डिप्रेशन” भी कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण सर्दियों के दौरान अधिकतम होते हैं। यह एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है जो व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और उसे उदासी, थकान, और अन्य शारीरिक और मानसिक समस्याओं का अनुभव कराता है।
विंटर डिप्रेशन के कारण
- सूरज की कम रोशनी : सर्दियों में दिन छोटे होते हैं और सूरज की रोशनी कम मिलती है। सूरज की रोशनी का अभाव सेरोटोनिन और मेलाटोनिन जैसे हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है जो हमारे मूड, नींद और ऊर्जा स्तर को नियंत्रित करते हैं। सूरज की रोशनी से शरीर में सेरोटोनिन का उत्पादन बढ़ता है, जो एक प्रकार का ‘हैप्पी हार्मोन’ होता है। जब सूरज की रोशनी कम होती है तो सेरोटोनिन का स्तर घट सकता है, जिससे व्यक्ति उदास और थका हुआ महसूस करता है। साथ ही, सर्दियों में लंबी रातें और कम रोशनी से नींद पर भी असर पड़ता है और मेलाटोनिन का अत्यधिक उत्पादन होता है जिससे थकान और नींद की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- बायोलॉजिकल क्लॉक में बदलाव : हमारा शरीर एक आंतरिक घड़ी (सर्केडियन रिदम) से संचालित होता है जो हमारी नींद और जागने के चक्र को नियंत्रित करती है। सर्दियों में सूरज की रोशनी में कमी के कारण यह घड़ी प्रभावित होती है। इससे नींद का समय बढ़ जाता है और व्यक्ति अधिक सोता है, जिससे मानसिक ऊर्जा में कमी और मूड में गिरावट आ सकती है। यह स्थिति व्यक्ति को थका हुआ और उदास बना सकती है।
- शारीरिक गतिविधि में कमी : सर्दियों में ठंड के कारण लोग बाहर कम निकलते हैं और शारीरिक गतिविधियां घट जाती हैं। शारीरिक गतिविधि से शरीर में एंडोर्फिन (जो ‘फील गुड’ हार्मोन कहलाते हैं) का उत्पादन होता है, जो मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। ठंड के महीनों में व्यायाम की कमी से यह प्राकृतिक मूड-बूस्टर कम हो सकता है, जिससे डिप्रेशन की संभावना बढ़ सकती है।
विंटर डिप्रेशन के लक्षण
- उदासी और चिड़चिड़ापन : व्यक्ति को लगातार उदासी और चिड़चिड़ापन महसूस होता है। हर छोटी बात पर गुस्सा आ सकता है, और जीवन में रुचि कम हो जाती है।
- थकान और ऊर्जा की कमी : यह एक सामान्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को हर समय थका हुआ महसूस होता है। वह शारीरिक और मानसिक रूप से ऊर्जा से रिक्त महसूस करता है।
- अधिक सोना (हाइपरसोमनिया): सर्दियों में लंबे समय तक रातें होने के कारण लोग अधिक सोते हैं। लेकिन यह सोने का समय आपके शरीर को ऊर्जा नहीं देता है। इस समय नींद की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।
- वजन बढ़ना : सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर में व्यक्ति को अधिक खाने की इच्छा होती है, खासकर कार्बोहाइड्रेट्स और मीठे पदार्थों की। इससे वजन में वृद्धि हो सकती है जो डिप्रेशन को और बढ़ाता है।
- सामाजिक गतिविधियों से बचना : व्यक्ति सामाजिक गतिविधियों से बचने लगता है और अपने दोस्तों, परिवार या अन्य कार्यों से दूर हो जाता है। इसमें अकेलेपन की भावना बढ़ जाती है।
विंटर डिप्रेशन से बचने के उपाय
- प्राकृतिक सूरज की रोशनी में समय बिताना : सर्दियों में कुछ समय सूरज की रोशनी में बिताना शरीर और मन दोनों के लिए जरूरी है। रोजाना कम से कम 30 मिनट सूरज की रोशनी में बिताने से सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है और मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है। यदि प्राकृतिक रोशनी की कमी हो, तो लाइट थेरेपी की सलाह ली जा सकती है
- शारीरिक गतिविधि बढ़ाना : नियमित व्यायाम से शरीर में एंडोर्फिन का स्तर बढ़ता है, जो मूड को बेहतर करता है। व्यायाम से न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। हलका योग, दौड़ना या घर के अंदर हल्की एक्सरसाइज भी मददगार हो सकती है।
- ध्यान और योग का अभ्यास : ध्यान (मेडिटेशन) और योग से मानसिक शांति मिलती है। यह तनाव को कम करने में मदद करता है और मानसिक स्थिति को संतुलित रखता है। ध्यान और योग सर्दियों में डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
- संतुलित आहार : विटामिन D, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर आहार से डिप्रेशन से बचा जा सकता है। इस प्रकार के आहार में मछली, अखरोट, अलसी और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करना चाहिए। साथ ही, हाइड्रेटेड रहना भी जरूरी है।
- समय पर सोना : नींद की नियमित आदतें डालना आवश्यक हैं। समय पर सोने और उठने की आदत डालने से शारीरिक घड़ी को संतुलित किया जा सकता है, जिससे मानसिक स्थिति में सुधार होता है। सोने से पहले डिजिटल स्क्रीन से बचना और आरामदायक वातावरण तैयार करना लाभकारी हो सकता है।
- सामाजिक संपर्क बनाए रखना : अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना बहुत महत्वपूर्ण है। सामाजिक संबंध बेहतर हो तो मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार आता है और अकेलापन कम होता है। इसलिए, सामाजिक रूप से सक्रिय रहना जरूरी है।
- प्रोफेशनल सहायता लेना : यदि लक्षण गंभीर हो जाएं, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है। चिकित्सा उपचार और काउंसलिंग से डिप्रेशन के प्रभावों को कम किया जा सकता है और व्यक्ति को स्वस्थ मानसिक स्थिति में लाया जा सकता है।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। विशेषज्ञ का परामर्श अपेक्षित।)