इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट (Indore Metro Project) पर सोमवार को बड़ी राहत आई। लंबे समय से चल रही खींचतान और तकनीकी अड़चनों के बाद आखिरकार यह तय हो गया कि अब खजराना से बंगाली चौराहे के बीच मेट्रो अंडरग्राउंड रूप में बनेगी। पहले यह हिस्सा ओवरहेड बनना तय था, लेकिन अब इसे भूमिगत बनाया जाएगा। इस बदलाव से परियोजना पर करीब 915 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आएगा।
19 महीने से अटके इस प्रोजेक्ट को अब मंजूरी मिल गई है, जिससे शहरवासियों में उत्साह है। हालांकि, राज्य सरकार को अब इस अतिरिक्त राशि की व्यवस्था कैसे करनी है, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।

अब इंदौर की मेट्रो ‘अंडरग्राउंड’
सोमवार को नगरीय आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय दुबे की मौजूदगी में सिटी बस कार्यालय परिसर में बैठक हुई। बैठक में जनप्रतिनिधियों और मेट्रो अधिकारियों ने मिलकर प्रोजेक्ट की विस्तार समीक्षा की। इसी दौरान यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि अब मेट्रो को खजराना चौराहे से बंगाली चौराहे तक अंडरग्राउंड बनाया जाएगा और वहां से एयरपोर्ट तक का हिस्सा भी अंडरग्राउंड रहेगा। इस बदलाव का मकसद शहर के ट्रैफिक, पर्यावरण और शहरी सौंदर्य को ध्यान में रखना है। मंत्री विजयवर्गीय ने कहा, हम इंदौर की सुंदरता और सुविधा दोनों को बरकरार रखना चाहते हैं। शहर में अब जहां भी मेट्रो बनेगी, वह अंडरग्राउंड होगी ताकि ट्रैफिक और विजुअल दोनों पर असर न पड़े।
खर्च बढ़ा, लेकिन मिलेगा लंबा फायदा
इस निर्णय से मेट्रो का खर्च जरूर बढ़ेगा, लेकिन लंबे समय में शहर को इससे बड़े फायदे मिलेंगे। पहले जो बंगाली चौराहे से हाईकोर्ट (MG Road) तक 3.5 किलोमीटर हिस्सा ओवरहेड बनना था, वह अब पूरी तरह भूमिगत होगा। इससे शहर के मुख्य बाजार क्षेत्रों में ट्रैफिक जाम की समस्या घटेगी, सड़क पर भीड़ कम होगी, और मेट्रो की स्पीड व सुरक्षा दोनों में सुधार होगा।
मेट्रो कॉरिडोर की नई योजना के अनुसार पहले 8.7 किमी हिस्सा अंडरग्राउंड तय था, अब यह 12.2 किमी हो गया है। पहले 22.62 किमी हिस्सा एलिवेटेड था, जो अब घटकर 19 किमी रह गया है। 8.7 किमी अंडरग्राउंड हिस्से की लागत 2051 करोड़ रुपये थी, अब 3.5 किमी नए हिस्से पर 825 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च होंगे।
कैसे आगे बढ़ेगा काम
इंदौर मेट्रो के अंडरग्राउंड हिस्से में बदलाव की प्रक्रिया आसान नहीं होगी। इसे लागू करने से पहले कई प्रशासनिक मंजूरियां और तकनीकी बदलाव करने होंगे। सबसे पहले मप्र मेट्रो बोर्ड की अनुमति लेनी होगी। उसके बाद राज्य सरकार की कैबिनेट और केंद्र सरकार से स्वीकृति लेनी होगी। फंडिंग एजेंसी को नया प्रस्ताव भेजना होगा। पुराने टेंडर को शॉर्ट क्लोज कर नया टेंडर जारी किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया करीब 12 महीने का समय ले सकती है। इसके बाद ही खजराना से रीगल तक अंडरग्राउंड निर्माण कार्य शुरू हो सकेगा।
छोटा गणपति स्टेशन बनेगा अंडरग्राउंड
बैठक में यह भी तय किया गया कि छोटा गणपति क्षेत्र में एक अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन बनाया जाएगा। पहले इसे हटाने पर विचार हो रहा था, लेकिन अब पुष्टि हो गई है कि यह स्टेशन बनेगा। यह स्टेशन NETM (New Excavation and Tunnel Method) से बनाया जाएगा, जिसमें मैदान के ऊपर से खुदाई कर जमीन के लगभग 30 मीटर नीचे चट्टानों में ब्लास्टिंग की जाएगी। दोनों ओर से खुदाई करते हुए स्टेशन तैयार होगा। इस विधि से निर्माण में करीब 25 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आएंगे, लेकिन इससे स्थायित्व और सुरक्षा दोनों बढ़ेंगी। सॉइल टेस्टिंग के बाद इस प्रक्रिया को अंतिम मंजूरी दी जाएगी।
विजयवर्गीय ने जताया गुस्सा कहा आपने ‘शहर को बर्बाद कर दिया’
बैठक में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मेट्रो के आर्किटेक्ट्स और कंसल्टेंट्स को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा, आपने पूरे शहर को बर्बाद कर दिया। विजयनगर चौराहा देखिए, रोज ट्रैफिक जाम लगता है। रेडिसन की खूबसूरती भी खराब कर दी। अगर यही करना था तो हम पूरा हिस्सा एलिवेटेड बनाकर लग्जरी बसें चला देते। उन्होंने आगे कहा कि अब इंदौर में जो भी मेट्रो बनेगी, वह पूरी तरह अंडरग्राउंड होगी। यह फैसला शहर की स्मार्ट सिटी विजन और आधुनिक यातायात जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
शहर के लिए क्या मायने रखता है यह बदलाव
इंदौर को मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। यहां रोजाना लाखों लोग यात्रा करते हैं, जिससे ट्रैफिक का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। मेट्रो के अंडरग्राउंड होने से ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार होगा, पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा, और शहर की सुंदरता बनी रहेगी। यह बदलाव इंदौर को स्मार्ट और सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट सिस्टम की दिशा में एक बड़ा कदम बनाएगा।
हालांकि, प्रोजेक्ट को लेकर कई वित्तीय और तकनीकी चुनौतियां बनी रहेंगी। अतिरिक्त 915 करोड़ रुपये की व्यवस्था करना, केंद्र की स्वीकृति पाना और नए टेंडर जारी करना आसान नहीं होगा। लेकिन सरकार और मेट्रो प्राधिकरण का मानना है कि यह निवेश शहर के भविष्य के लिए जरूरी और लाभकारी है। अगर सब कुछ तय समय पर हुआ, तो 2026 के अंत तक खजराना से बंगाली चौराहे के बीच मेट्रो अंडरग्राउंड ट्रैक बनकर तैयार हो सकता है।










