नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। यदि धरती पर ही रहकर दूसरे ग्रह में रहने जैसा अनुभव लेना हो तो उसके लिए अंटार्कटिका बिल्कुल सही जगह है। एक ओर जहां पूरी दुनिया में चार मौसम होते हैं और हर दिन सूरज उगता है और रात भी होती है, वहीँ अंटार्कटिका में केवल दो ही मौसम होते हैं, गर्मी का और सर्दी का। इसका कारण है कि यहाँ 6 महीने केवल अँधेरा रहता है और 6 महीने केवल उजाला। 12 मई को वहाँ आखिरी सूर्यास्त देखा गया, अब 6 महीने बाद वहाँ सूर्य की किरण पहुंचेगी, तब तक अंटार्कटिका अंधेरे में डूबा रहेगा।
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अंटार्कटिका की गर्मियों में उजाला और सर्दियों में केवल अंधेरा होता है। दरअसल धरती अपनी धुरी पर टेढ़ी हो कर घूमती है, जिस वजह से अंटार्कटिका में साल के आधे समय तक अँधेरा और बाकी आधे समय तक उजाला ही रहता है। जबकि धरती के बाकी हिस्से में ऐसा नहीं होता। अब 12 मई को हुए सूर्यास्त के 6 महीने बाद अक्टूबर में ही वहां सूर्य की रोशनी दिखाई देगी। तब तक अंटार्कटिका में ना कोई आएगा, ना ही वहां से कोई बाहर जाएगा। ऐसे में वहां रहने वाले कॉन्कॉर्डिया रिसर्च स्टेशन के वैज्ञानिकों और आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनके पास मौजूद खाने-पीने के सामान से ही काम चलाना पड़ेगा
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यह बहुत ही कठिन परिस्थिति होती है, क्योंकि सर्दियां बढ़ने पर वहां का तापमान -80 डिग्री तक चला जाता है और वहां की ऊंचाई और ठंड की वजह से लोगों के दिमाग में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, जिसे क्रॉनिक हाइपरोपिया कहते है। लेकिन फिर भी वहाँ के रिसर्च सेंटर में रहने वाले वैज्ञानिकों के लियर यह स्वर्णिम काल है क्यूंकि वे लोग इसी समय में सबसे ज्यादा रिसर्च करते हैं। यूरोपीयन स्पेस एजेंसी और उससे जुड़े संस्थान 6 महीने तक वहां अलग-अलग खोज करेंगे।