भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण (MP OBC Reservation) मुद्दे का सीधा सीधा असर युवाओं के रोजगार(youth employment) पर पड़ रहा है। बीते 4 सालों में मध्यप्रदेश में कई हजार पदों पर भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया लेकिन इसके लिए परिणामों की घोषणा नहीं की जा सकी। वहीं MPPSC द्वारा जिन परीक्षाओं के लिए परिणाम की घोषणा की गई, उसमें भी समय-समय पर संशोधन होते रहे। जिसका परिणाम यह हुआ कि पिछले 4 साल में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षा आयोजित करने में 68 करोड़ रुपए खर्च किए गए लेकिन एक भी उम्मीदवार को नौकरी नहीं मिली है।
बता दें कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा बीते 4 सालों में 10 परीक्षाओं का आयोजन किया गया। इन परीक्षाओं के आयोजन में करोड़ों रुपए खर्च किए गए लेकिन एक के भी फाइनल परिणाम सामने नहीं आए हैं। वही किसी भी उम्मीदवार को नौकरी नहीं मिलना, इससे भी अधिक चिंता का विषय है। MPPSC की परीक्षाएं कई विवादों के अलावा ओबीसी आरक्षण में भी फंसी हुई है। ओबीसी आरक्षण पर लगातार उठ रहे मुद्दे युवाओं के भविष्य में एक बड़ा रोड़ा साबित हो रहे हैं।
आयोग द्वारा करोड़ों रुपए 2018 से 2022 तक के बीच में आयोजित हुई परीक्षा में खर्च किए गए। इस बात की जानकारी MPPSC ने एक आरटीआई के जवाब में दिया। जिसमें कहा गया है कि 2018 से 2022 तक के बीच 10 भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था। जिसमें 1400 पदों के लिए 7 लाख से अधिक उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा हुई थी। परीक्षा आयोजन के साथ ही परिणाम का मामला ओबीसी आरक्षण को लेकर बीच में ही अटक जा रहा है।
ओबीसी आरक्षण में का मामला कोर्ट में लंबित होने के बावजूद MPPSC 2020 के मुख्य परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी को 40 फ़ीसदी-ओबीसी को 27% आरक्षण देकर परीक्षा परिणाम में दोनों को अधिकतम 27% आरक्षण देकर परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसके बाद कुल आरक्षण 113 फीसद तक पहुंच गया था। वही एमपी हाई कोर्ट द्वारा इस फार्मूले को सिरे से खारिज कर दिया गया। जिसके बाद राज्य ने इंजीनियरिंग सेवा, दंत चिकित्सक, सहायक निदेशक, सहायक प्रबंधक और सहायक निदेशक कृषि विभाग जैसी अन्य परीक्षाएं भी इसी वजह से अधर में लटक गई।।
मामले में एमपीपीएससी के ओएसडी का बड़ा बयान सामने आया। जब उन्होंने कहा कि 2019 से अब तक हुई परीक्षा ओबीसी आरक्षण के मुद्दे के कारण अटकी हुई है। कुछ परीक्षाओं के लिए इंटरव्यू आयोजित किए गए हैं लेकिन अंतिम परिणाम अभी भी प्रतीक्षा में है। इतना ही नहीं आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सुलझ नहीं जाता, तब तक आयोग फैसले का इंतजार करेगी और हाई कोर्ट के फैसले के बाद ही ओबीसी आरक्षण के साथ रिजल्ट तैयार किए जाएंगे।
वहीं मामले में छात्रों का आरोप है कि तय समय पर परीक्षा परिणाम घोषित होने की वजह से कई उम्मीदवार ओवरेज हो गए हैं और अब वह परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे। हाल ही में इंदौर में MPPSC के छात्रों ने जमकर विरोध प्रदर्शन में हंगामा भी किया है। सैकड़ों की संख्या में छात्र रोड पर उतरे थे। तिरंगा यात्रा निकाल कर उन्होंने दफ्तर का घेराव भी किया था। साथ ही परीक्षा परिणाम जारी करने की मांग की थी। अब ओबीसी आरक्षण का मामला सुलझने के बाद ही मध्यप्रदेश में युवाओं के सरकारी नौकरी का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है।