नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। Science:- पृथ्वी आकाशगंगा का हिस्सा है और हम इंसान इसका एक छोटा सा भाग। आकाशगंगा गैलक्सी में कई ग्रह और सितारें हैं, जिसकी खोज अब भी वैज्ञानिकों को है। स्पेस में कई रहस्य है, जिनमें से एक Aliens भी है। एलीयंस हमेशा से मनुष्यों के लिए विवाद का विषयों रहे है और समय-समय पर इससे जुड़े कई अध्ययन भी सामने आते रहते हैं। हाल ही आए रिसर्च के मुताबिक आकाशगंगा में 4 ऐसे ग्रह है जहां दुष्ट एलियन की सभ्यताएं हैं, जो धरती पर हमला भी कर सकते हैं। arXiv द्वारा एक रिपोर्ट पोस्ट किया गया है, जो इन बातों को दावा करती है। हालांकि अब तक इस रिपोर्ट को रिव्यू नहीं किया गया है, इसलिए यह सच है या झूठ इसके बारे में फिलहाल कुछ नहीं बोला जा सकता है।
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Livescience में छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक स्पेन के विगो यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र अल्बर्टो कैबलेरो ने वाव (WOW) सिग्नल पर एक स्टडी को पोस्ट किया है। सूत्रों के मुताबिक वाव एक एस सिग्नल है जिसके जरिए एलीयन्स ने साल 1977 में पृथ्वी से जुड़ने की कोशिश की थी। अमेरिका के एक रेडियो टेलिस्कोप ने नैराबैंड यानि वाव सिग्नल मिला। जिसे लेकर कई वैज्ञानिकों का यह मानना है की यह सिग्नल 1800 लाइट ईयर दूर किसी Saggitarius तारामंडल के एक तारे से ऐसे सिग्नल आ सकते है, जो सूरज की तरह होता है। तो कई वैज्ञानिकों का यह मानना है की आकाशगंगा में कई ऐसी भी सभ्यताएं हो सकती है जो अन्य दुनिया से जीवों से संपर्क करना चाहते है।
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कैबलेरो ने अब तक पृथ्वी पर 1915-2022 तक हुए सभी अटैक की गिनती की, जिसमें उन्होंने वाव सिग्नल को पाया। जब उन्होंने अकहगंगा के एक्सोप्लैनेट की अनुमानित नंबर पर इसे लागू किया तो उन्होंने यह दावा किया की आकाशगंगा में ऐसी 4 एलियन सभ्यताएं है जो धरती पर अटैक कर सकती है। उन्होंने वैज्ञानिकों को इस बात की जानकारी देते हुए यह चेतवानी दी की METI का परीक्षण करते वक्त सावधानी जरूर बरते। उन्हें इस बात का भी डर है की यदि धरती के वैज्ञानिक METI का अधिक इस्तेमाल करते हैं तो इससे एलियन्स भड़क सकते हैं और हमला भी कर सकते हैं। उनका यह भी कहना है इस बात को नहीं कहा जा सकता की इन एलीयन्स की सभ्यता हमारे जैसी है या नहीं, लेकिन इस सबसे बड़ी बात यह की हमारे पास उन तक पहुँचने की कोई टेक्नोलॉजी नहीं है।
Disclaimer: इस खबर का उद्देश्य भ्रम फैलाना नहीं है, यह केवल शिक्षित करने के लिए है। यह खबर रिपोर्ट पर आधारित है और MP Breaking News इस स्टडी का दावा नहीं करता।