क्या आपका बच्चा भी बात-बात पर करता है जिद्द और गुस्सा, तो रोजाना बोले उन्हें ये पांच बातें, जल्द सुधर जाएगी आदत

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Parenting Tips: आजकल के बच्चों में जिद्दीपन और चिड़चिड़ा स्वभाव देखना बेहद आम बात है। बच्चों की इन आदतों की वजह से माता-पिता काफी परेशान रहते हैं। जिस वजह से उन्हें न चाहते हुए भी अपने बच्चों को डांटना पड़ता है, मारना पड़ता है यहां तक की कई बार उन्हें दंड भी देना पड़ता है। लेकिन यह सब करने के बावजूद भी बच्चों की आदत में कोई सुधार देखने को नहीं मिलता है। अगर आप भी अपने बच्चों के जिद्दी और गुस्सैल स्वभाव से परेशान है और चाहते हैं कि वह जल्द से जल्द अपनी इन बुरी आदतों को छोड़े, तो उसके लिए आपको कुछ आदतें अपनानी होगी। जी हां, अब आप सोच रहे होंगे कि बच्चों की आदत बदलने के लिए माता-पिता को क्यों आदत अपनानी है।

दरअसल, हम जाने-अनजाने में बच्चों को कुछ ऐसी बातें बोल देते हैं या कई बार उनकी बोली हुई बातें नहीं समझ पाते हैं, जिस वजह से बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा और गुस्सैल होने लगता है। बच्चों की इस आदत को सुधारने के लिए ना तो उन्हें मारने की जरूरत है, ना ही डांटने की जरूरत है, ना ही किसी भी प्रकार का कोई दंड देने की जरूरत है। आपको केवल अपने बच्चों से रोजाना में कुछ सकारात्मक वाक्य बोलने हैं। यह वाक्य किसी चमत्कारी मंत्र से कम नहीं है। इन वाक्यों को सुनकर बच्चों की बुरी आदत में जल्द ही सुधार आने लगेगा। इसी के साथ चलिए जानते हैं वह कौन से वाक्य हैं जो बच्चों के सामने बोलने चाहिए।

बच्चों की बुरी आदत को सुधारने के लिए क्या वाक्य बोलने चाहिए

“हमें तुम पर गर्व है”

जब माता-पिता अपने बच्चों से यह वाक्य कहते हैं कि हमें तुम पर गर्व है, तो बच्चा अपने विकास पर ध्यान देता है। बच्चा अच्छे कामों को करने में लग जाता है। इस वाक्य को सुनने से वह अपने आप अपनी बुरी आदतों को छोड़ देता है। बच्चे को पता होता है कि उसके मम्मी पापा उस पर गर्व महसूस करते हैं। इसलिए वह ऐसे ही काम करेगा जो उसके भविष्य के लिए अच्छे रहेंगे।

बच्चों को खास महसूस कराएं

माता-पिता को हमेशा अपने बच्चों को खास महसूस कराना चाहिए। बच्चों को ऐसा महसूस कराएं कि वह आपके लिए एक अनमोल खजाना है। वह आपके लिए दुनिया की सबसे बड़ी खुशी है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह भी कोई कहने की बात है सभी माता-पिता के लिए उसका बच्चा बहुत अनमोल होता है। लेकिन आपको यह बातें अपने बच्चों को महसूस करानी है, क्योंकि बच्चे मासूम होते हैं उन्हें मन की बातें समझ नहीं आती है उन्हें जैसा आप करते हैं या जैसा आप बोलते हैं वही समझ आता है।

बच्चों से माफी मांगे

कभी भी कोई भी माता-पिता अपनी गलती के लिए बच्चों से माफी नहीं मांगते हैं। क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि अगर बच्चों के सामने माफी मांगेंगे तो वह कमजोर दिखेंगे। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है जब आप अपनी गलतियों के लिए बच्चों से माफी मांगते हैं तो बच्चे इससे काफी सीखते हैं। माफी मांगते समय आपको यह भी कहना चाहिए कि आप दोबारा ऐसा नहीं करेंगे, ऐसा कहने से यह फायदा होगा कि बच्चों के मन में यह भावना पैदा हो जाएगी कि उसे भी गलतियां दोबारा नहीं करनी है।

बहस करने की वजह बच्चों की बातें सुनें

जब कभी भी आपका बच्चा जिद करता है या वह कुछ कहने की कोशिश करता है, तो ऐसे में डांटने और बहस करने की वजह आपको उसकी बातें ध्यान से सुनना चाहिए और प्यार से समझाना चाहिए। ऐसे में वह आपकी बात मानने लगेगा। अगर आप ऐसी स्थिति में उसे डाटेंगे या बहस करेंगे तो वह चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो जाएगा।

बच्चों की तारीफ करें

जब बच्चा आपकी बात मानता है, तो उसकी तारीफ करें। इससे उसे यह महसूस होगा कि आप उसकी सराहना करते हैं और उसे प्रोत्साहित करते हैं तारीफ करने से बच्चा आगे भी आपकी बात मानने के लिए प्रेरित होगा।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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