Holi 2023 : नई दुल्हन पहली होली ससुराल में क्यों नहीं खेलती, क्या है मायके में त्योहार मनाने का कारण

Holi 2023 : शादी के बाद हर त्योहार खास होता है, लेकिन पहली होली का इंतज़ार नई बहू को सबसे ज्यादा होता है। ये ही वो इकलौता त्योहार है जो नई नवेली बहू अपने मायके में मनाती है। हमारे यहां अधिकांश स्थानों पर ये मान्यता चली आ रही है कि शादी के बाद पहली होली ससुराल में नहीं, बल्कि मायके में मनाई जाती है। बाकी सारे त्योहारों पर नई बहू से शगुन कराया जाता है, लेकिन पहली होली ही एकमात्र ऐसा पर्व है जब खुद ससुराल वाले उसे मायके भेजते हैं। अक्सर साथ में पति भी अपने ससुराल जाता है पहली होली मनाने के लिए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस परंपरा के पीछे क्या कारण है। आज हम आपको इसके पीछे की धारणाएं बताने जा रहे हैं।

  • नई दुल्हन आने के बाद सभी को पहली फिक्र इस बात की रहती है कि उसके संबंध सभी के साथ कैसे बनते हैं। वो सबसे हिलमिलकर रहे, संबंधों में मधुरता रहे, ये सभी चाहते हैं। मान्यता है कि अगर नई बहू पहली होली ससुराल में मनाती है तो घर में क्लेश उत्पन्न हो सकता है।
  • ये भी कहा जाता है कि अगर अपनी सास के साथ नई बहू होलिका दहन देख ले तो उन दोनों के बीच के संबंधों पर भी आंच आ सकती है। ऐसा होने पर सास बहू के बीच मनमुटाव के आसार होते हैं।
  • वहीं अगर पहली होली वो अपने मायके में मनाती है तो ससुराल वालों के साथ उसके मधुर संबंध बनते हैं। उसका वैवाहिक जीवन में भी खुशहाली आती है।
  • ये भी माना जाता है कि पहली होली मायके में मनाने से होने वाली संतान का स्वास्थ्य अच्छा होता है। इसी के साथ ये भी कहा जाता है कि गर्भवती महिला को भी होली का त्योहार अपने मायके में ही मनाना चाहिए।

इन मान्यताओं के अलावा अगर हम गौर करें तो पाते हैं कि होली ही ऐसा त्योहार है जिसमें सभी लोग सारे भेदभाव भूलकर एक साथ रंग खेलते हैं, खुशियां मनाते हैं। इस त्योहार में खूब मस्ती मज़ाक भी होता है और कोई इसका बुरा नहीं मानता। ऐसे में अगर दामाद अपनी पहली होली पत्नी के साथ ससुराल में मनाता है तो उसके अपने ससुराव पक्ष के साथ संबंध और बेहतर हो सकते हैं। ये त्योहार दामाद और ससुराल वालों के बीच प्रगाढ़ता और सहजता लाने में भी सहायक साबित होता है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।