भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) बस आने को है और घर घर में इसे लेकर तैयारियां शुरु हो गई हैं। भाई की कलाई पर बांधने के लिए राखियों से बाजार सज गए हैं, भाईयों ने बहनों को देने के लिए गिफ्ट चुन लिए हैं और इस दिन क्या पकवान बनेंगे उनकी लिस्ट बनने लगी है। लेकिन इस सारी तैयारियों के बीच एक जरुरी बात मत भूल जाइयेगा। त्यौहार का महत्व तभी है जब वो शुभ मुहूर्त (Shubh muhurt) में मनाया जाए। और इस बार ज्योतिषीय गणना के अनुसार इसपर भद्रकाल का साला रहेगा।
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भद्रकाल को अशुभ माना जाता है और रक्षाबंधन पर इस समयावधि में राखी नहीं बांधी जाती है। भद्रकाल में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसके पीछे एक मान्यता है। पौराणिक कथानुसार भद्रा शनिदेव की बहन हैं। कहा जाता है कि जब छाया माता के गर्भ से भद्रा का जन्म हुआ तो समूची सृष्टि में तबाही आने लगी। जहां भी कुछ शुभ कार्य होता, भद्रा वहां पहुंचकर सब नष्ट कर देती इसीलिए इसे अशुभ माना जाता है। ये भी कहा जाता है कि रावण की बहन ने उसे भद्राकाल में राखी बांधी थी और यही उसके विनाश का कारण बना।
इस साल 11 अगस्त को रक्षाबंधन है और शाम 5 बजकर 17 मिनट पर भद्रा पुंछ शुरू हो जाएगा। ये शाम के 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा। 6 बजकर 18 मिनट से भद्रा मुख शुरू होगा जिसकी समाप्ति रात के 8 बजे होगी। इस समयावधि में राखी नहीं बांधनी चाहिए। भद्राकाल के खत्म होने पर राखी बांधी जा सकती है।
11 अगस्त 2022 रक्षाबंधन
पूर्णिमा तिथि का आरंभ 11 अगस्त, सुबह 10 बजकर 38 मिनिट से होगा और ये 12 अगस्त. सुबह 7 बजकर 5 मिनिट पर समाप्त होगी। राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 28 मिनिट से रात 9 बजकर 14 मिनिट तक होगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक है और अमृत काल का समय शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक है। रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त या प्रदोष मुहूर्त :20:52:15 से 21:14:18 तक है।
भद्रा काल का समय
रक्षाबंधन के दिन भद्रा पूंछ 11 अगस्त को शाम 5 बजकर 17 मिनट से शाम 6 बजकर 18 मिनट तक है। इसके बाद भद्रा मुख शाम 6 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक रहेगी। भद्रा काल की समाप्ति रात 8 बजकर 51 मिनट पर होगी।