शरारती बच्चों पर आता है गुस्सा, काबू करने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके

बच्चों की शरारतें उनकी उम्र का हिस्सा होती हैं, लेकिन कई बार ये माता-पिता के लिए गुस्से का कारण बन जाती हैं. गुस्से में आकर डांटना या कठोर व्यवहार करना समस्या को बढ़ा सकता है.

Bhawna Choubey
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बच्चों की अच्छी परवरिश करना माता-पिता का अहम कर्तव्य होता है. जैसे-जैसे ज़माना बदल रहा है वैसे-वैसे परवरिश करने का तरीक़ा भी बदलता जा रहा है. आजकल माता-पिता बच्चों को तरह-तरह की सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं जैसे कि बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ा.

बच्चों की हर ज़रूरतों को उनके बोलने से पहले ही पूरा कर दिया जाता है. माता-पिता अपने बच्चों से यही उम्मीद करते हैं कि वे अच्छे अच्छे संस्कार सीखें, सभी लोगों का मान-सम्मान करें, अच्छी पढ़ाई-लिखाई करें और जीवन में खूब आगे बढ़ें.

अपनाएं ये आसान तरीके (Parenting Tips)

बच्चों का बचपन पूरी तरह से शरारत से भरा हुआ होता है, कई बार बच्चों की शरारत से तंग आकर माता-पिता उन पर बार-बार ग़ुस्सा करने लगते हैं. बच्चों पर ग़ुस्सा करने की बजाय उन्हें प्यार से समझाना ज़्यादा बेहतर हो सकता है.

अगर आपका बच्चा भी बहुत शरारत करता है, और आपको बार-बार अपने बच्चों पर ग़ुस्सा आता है, तो हम आपको ऐसे टिप्स बताएंगे, जिनकी मदद से आप अपने गुस्से को भी शांत रख पाएंगे और अपने बच्चों को भी समझ पाएंगे.

कारण जानने की कोशिश करें

बच्चों का व्यवहार उनकी उम्र पर निर्भर रहता है, अगर आपका बच्चा छोटा है और बात-बात पर जिद करता है, तो ऐसे में सबसे ज़रूरी है कि पहले तो आप ज़िद करने के पीछे के कारणों को समझें.

बिना समझें अगर आप भी उन पर चिल्लाने लगेंगे, डांटने लगेंगे या ग़ुस्सा करने लगेंगे तो यह नाकारात्मक प्रभाव दे सकता है.

ग़ुस्से में न बोलें नकारात्मक बातें

बच्चों को कभी भी ग़ुस्से में नकारात्मक बातें नहीं बोलनी चाहिए, ग़ुस्सा तो थोड़ी देर में शांत हो जाता है लेकिन आपके द्वारा निकली गई नकारात्मक बातें बच्चों के दिमाग़ पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. ऐसे में शांत रहने की कोशिश करें और अपने बच्चों को प्यार से समझाए.

मेडिटेशन करें

मेडिटेशन की आदत डालना ना सिर्फ़ माता पिता के लिए अच्छा होता है , बल्कि बच्चों के लिए भी अच्छा होता है. अगर आपके बच्चे बात बात पर चर्चा करने लगते हैं. और अगर आप भी बात बात पर ग़ुस्सा होने लगते हैं, तो आपको अपने बच्चों के साथ मिलकर मेडिटेशन करना चाहिए. ऐसा करने से मन शांत रहता है.

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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