कहीं आपके व्यवहार के कारण तो नहीं बढ़ रहा है बच्चे का शर्मीलापन? जानें ये 5 जरूरी बातें

Parenting Tips: कई बार हम अनजाने में किए गए व्यवहार से अपने बच्चों में शर्मीलापन बढ़ा देते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आत्मविश्वास से भरा हो, तो अपने व्यवहार पर ध्यान देना जरूरी है।

भावना चौबे
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Parenting Tips: हर माता-पिता की यही ख्वाहिश होती है, कि उनका बच्चा खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त करें, लेकिन कई बार अनजाने में वह ऐसे व्यवहार कर देते हैं, जिससे बच्चा नेगेटिव फिलिंग्स में बंध जाता है। शर्मीलापन एक ऐसी भावना है, जो न सिर्फ बड़े बल्कि बच्चों के आत्मविश्वास को भी कमजोर कर सकती है।

ऐसे में अगर आपको भी लग रहा है, कि आपका बच्चा शर्मिला है और उसके शर्मीलेपन की वजह से वह जीवन में आगे बढ़ने में परेशानियों का सामना कर रहा है, तो ऐसे में आपको इन टिप्स को अपना कर कुछ छोटे-छोटे प्रयास करके अपने बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए।

नेगेटिव बातें न बोलें

अगर आप बार-बार अपने बच्चों को यह कहते रहेंगे कि तुम तो बहुत शर्माते हो या फिर तुम तो बात ही नहीं करते तो यह बातें उनके दिमाग में गहराई से बैठ जाती है, इससे बच्चा और भी संकोच महसूस करने लगता है और लोगों से दूर भागने लगता है। इसलिए किसी भी नेगेटिव टैग लगाने से पहले 10 बार सोचें। नेगेटिव बातों की वजह पॉजिटिव बातें अपने बच्चों से कहें।

बच्चों की बातों को ध्यान से सुनें

जब कभी भी आपका बच्चा आपसे कुछ बातें करने की सोच रहा हो या फिर वह आपको कुछ बातें बताने का प्रयास करें, तो आपको उसकी बातों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उदाहरण के लिए जैसे अगर आपका बच्चा आपसे कुछ बातें कह रहा है, तो आप अपना फोन साइड में रखकर उसकी बातों को ध्यान से सुन सकते हैं और समझने के बाद उत्तर दे सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें यह एहसास होगा कि उनकी भावनाओं की परवाह की जा रही है।

घर का माहौल खुला बनाएं

घर का माहौल कुछ इस तरह से बनाएं जहां बच्चे अपनी हर बात बिना किसी डर के बता सके और अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर सकें। जब घर का माहौल ऐसा रहता है और नियमित बातचीत होती रहती है तो बच्चों में हाथ में विश्वास बढ़ता है।

अदर एक्टिविटी भी सिखाएं

बच्चों को हर समय पढ़ाई के लिए फोर्स नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें खेल, नाटक, संगीत जैसे सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना बहुत जरूरी है। जब वे इन गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो उन्हें दूसरों के साथ मिलजुल कर रहना और नए दोस्त बनाना सीखने का मौका मिलता है। इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और भी टीम के साथ काम करना बात करना और समस्याओं को हल करना सिखते हैं।

रोल मॉडल बनें

बच्चे हमेशा घर में रह रहे लोगों से काफी कुछ सीखते हैं इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आत्मविश्वासी बनी तो आपको भी लोगों से खुलकर बातचीत करनी चाहिए और सामाजिक कांटेक्ट बढ़ाना चाहिए। जवाब दूसरों के साथ मिलकर बात करेंगे और भी मिल जाएंगे तो आपका बच्चा भी यही सीखेगा।

 


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भावना चौबे

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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