बिना डांट के सिखाएं अपने बच्चे को डिसिप्लिन, नहीं करेगा जिद्द, जानें कैसे

Parenting Tips: अगर आपका बच्चा ज़िद्दी हो गया है और आपकी बातों को नजरअंदाज करता है, तो यह जरूरी है कि आप उसे अनुशासन सिखाएं, लेकिन बिना डांट और सख्ती के। बच्चों को डांटने से उनका आत्मविश्वास टूट सकता है और उनका व्यवहार और बिगड़ सकता है।

भावना चौबे
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Parenting Tips: बच्चों की जिद और उनकी बात ना सुनने की आदत अक्सर पेरेंट्स के लिए एक चुनौती बन जाती है खासकर जब बच्चे 5 से 8 साल की उम्र में होते हैं। इस उम्र में बच्चे अपनी इच्छाओं को लेकर बहुत ज्यादा जिद्दी हो सकते हैं और यह पेरेंट्स के लिए तनाव पूर्ण हो सकता है। ऐसे में बच्चों को बिना डांटे या बिना गुस्सा करें सही रास्ते पर लाना एक कला होती है।

कई माता-पिता की यही शिकायत रहती है कि उनका बच्चा दिन पर दिन जिद्दी होता जा रहा है बिल्कुल सुनने का नाम ही नहीं लेता है, इतना ही नहीं कई माता-पिता की यह शिकायत भी रहती है कि जब बच्चा दूसरे बच्चे को देखता है या दूसरे बच्चे के आसपास रहता है, तो उसकी जिद और भी बढ़ जाती है, ऐसे में किस तरह इस स्थिति को हैंडल करें यह समझने में थोड़ी मुश्किल होती है। अगर आपको भी ऐसा लग रहा है कि आपका बच्चा दिन पर दिन जिद्दी होता जा रहा है तो हम आपको आज कुछ ऐसे टिप्स बताएंगे, जिनकी मदद से आप बिना डांटे और बिना गुस्सा करें अपने बच्चों को प्यार से समझा सकेंगे।

बच्चों की जिद को किस तरह करें हैंडल

बचपन से ही सीखने अनुशासन

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा अनुशासित बने तो सबसे पहले उनके जीवन में अनुशासन लाएं, जब आपका बच्चा किसी काम को डेली रूटिंग के अनुसार करेगा, तो वह दूसरों की इज्जत करेगा और उसके अंदर अनुशासन भी अपने आप आएगा।

हर गलती पर टोके

अगर आपका बच्चा कुछ गलत कर रहा है, तो उसे तुरंत टोके और बताएं कि यह जो उसने किया है, वह गलत काम है और इसे किस तरह सही से किया जा सकता है। अगर आप बच्चों की छोटी-छोटी गलतियों को नजरअंदाज करेंगे, तो वह आगे चलकर बड़ी गलतियां में तब्दील हो जाएगी और बच्चों को लगेगा कि इससे पहले तो आपने कभी उन्हें टोका नहीं तो आज क्यों।

बच्चों के साथ समय बिताए

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपकी बातें सुनें और आपकी बात माने, तो सबसे पहले उसके लिए समय निकालें। समय निकालने के लिए आप अपने बच्चों के साथ खेल सकते हैं। खूब सारी बातें कर सकते हैं, साथ ही साथ किताबें पढ़ सकते हैं। ऐसा करने से बच्चों को लगेगा कि आप उन्हें अपना समय दे रहे हैं और भी बहुत ही खुश होंगे।

शेयरिंग इज केयरिंग का सिद्धांत सिखाएं

अक्सर बच्चे किसी भी चीज को शेयर करने से कतराते हैं, फिर चाहे वह खाने की चीजें हो, खेलने की चीजें हो या फिर कोई सी भी चीज क्यों ना हो। इसलिए हमें बच्चों को सिखाना चाहिए शेयरिंग इज केयरिंग। इस सिद्धांत के साथ जब बच्चा बड़ा होता है तो वह दूसरों के साथ आसानी से चीज साझा करता है। यह आदतें उसको जीवन में आगे बढ़ाने में बहुत मदद करती है।

 


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भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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