Parenting Tips: हर माता-पिता की यही ख्वाहिश होती है कि उनका बेटा पढ़ लिखकर अच्छा इंसान बने और जीवन में खूब तरक्की करें। इसके चलते माता-पिता अपने बच्चों की अच्छी से अच्छी परवरिश करते हैं और उन्हें सारी सुख सुविधा उपलब्ध कराते हैं जिससे कि उन्हें जीवन में किसी भी प्रकार की कोई भी परेशानी का सामना न करना पड़े। लेकिन माता-पिता की यह एक सबसे बड़ी गलती होती है कि वह हमेशा अपने बच्चों को दूसरों बच्चों से कंपेयर यानी अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना करते रहते हैं। हर माता-पिता को ये समझना चाहिए कि दुनिया में मौजूद हर बच्चा दूसरे बच्चों से अलग होता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है वैसे-वैसे माता-पिता उसे नई-नई चीज़ सिखाते हैं साथ ही साथ यह भी उम्मीद करते हैं कि वह हर चीज को सिखने में अपना बेस्ट दे साथ ही साथ अपने बच्चों की परफॉर्मेंस के लिए हमेशा उन पर प्रेशर डालते रहते हैं, और अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म नहीं कर पता है तो ऐसे में माता-पिता खुद भी टेंशन लेते हैं और बच्चों को भी टेंशन देते हैं, जिससे न सिर्फ बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है बल्कि माता-पिता का भी मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है, आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे कि अगर आप अपने और अपने बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रखना चाहते हैं तो आपको कभी भी अपने बच्चों पर प्रेशर नहीं बनना चाहिए साथ ही साथ और क्या-क्या नहीं करना चाहिए वह भी आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे।
परफेक्शन की होड़
बच्चे में परफेक्शन लाने की चाहत रखना स्वाभाविक है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम उन्हें इस लक्ष्य के पीछे न दौड़ाएं। अत्यधिक दबाव और अपेक्षाएं बच्चे में तनाव और चिंता पैदा कर सकती हैं, जिससे उनका प्रदर्शन उल्टा भी हो सकता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर बच्चा अलग होता है और उसकी अपनी क्षमताएं और सीमाएं होती हैं। हमें उनसे उनकी क्षमता से अधिक की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, हमें बच्चों को उनका सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्हें उनकी कोशिशों और प्रगति के लिए सराहना करें, और गलतियों को सीखने के अवसर के रूप में देखें।
बातों को समझना और समझाना
माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद में अक्सर गलतफहमी और खाई पैदा हो जाती है। माता-पिता को लगता है कि बच्चा उनकी बात नहीं समझता या उनकी परवाह नहीं करता, जबकि बच्चे का कहना होता है कि उन्हें कभी समझा ही नहीं जाता। इस स्थिति से बचने के लिए, सबसे महत्वपूर्ण बात है खुला और ईमानदार संवाद स्थापित करना। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चे की बात ध्यान से सुनें, उनकी भावनाओं को समझें और उनका सम्मान करें। बच्चों से भी अपेक्षा है कि वे अपनी बात खुलकर और स्पष्ट रूप से कहें।
गलतियां सुधारने का दें मौका
बच्चों के विकास में गलतियों से सीखना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिलना चाहिए, ताकि वे उनसे सीख सकें और आगे बढ़ सकें। यह उम्मीद करना गलत है कि बच्चा हर काम में पहली बार में ही सफल हो जाएगा। गलतियाँ सीखने की प्रक्रिया का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं। यदि हम बच्चों को उनकी गलतियों के लिए डांटते या उन्हें दंडित करते हैं, तो इससे उनमें आत्मविश्वास की कमी और डर पैदा हो सकता है। वे जोखिम लेने से डरने लग सकते हैं और नई चीजें सीखने से हिचकिचा सकते हैं। इसके बजाय, हमें बच्चों को उनकी गलतियों से सीखने और उनसे सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।