गुड़ और बेसन से सर्दियों में बनाएं ऑर्गेनिक खाद, जानें आसान तरीका

अगर आप सर्दियों में किचन वेस्ट का सही इस्तेमाल करना चाहते हैं और ऑर्गेनिक खेती के शौकीन हैं, तो चायपत्ती की बजाय गुड़ और बेसन से खाद बनाना एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है.

Bhawna Choubey
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Plant Care: जिस तरह से ठंड के मौसम में त्वचा और बालों की देखभाल डबल करनी पड़ती है ठीक उसी तरह से पौधों की देखभाल भी डबल करनी पड़ती है. हर मौसम में पौधों की देखभाल करने का तरीक़ा अलग-अलग होता है. कई बार ठीक से देखभाल करने के बाद भी पौधे मुरझा जाते हैं और झड़ जाते हैं.

यूँ तो बाज़ार में कई तरह के फर्टिलाइजर पाए जाते हैं जो पौधों को तंदुरुस्त रखने का दावा करते हैं. लेकिन इन फर्टिलाइजर में कई प्रकार के कैमिकल भी होते हैं जो कई बार मिट्टी और पौधों को नुक़सान पहुँचा सकते हैं.

घर पर बनाएं खाद

इसलिए घर पर बनाएँ गए फर्टिलाइजर ज़्यादा फ़ायदेमंद हो सकते हैं. ये ना सिर्फ़ पौधों को सही पोषण देते हैं बल्कि मिट्टी की सेहत को भी सुधारने में मदद करते हैं. घर पर कई तरह के फर्टिलाइजर बनाए जा सकते हैं, लेकिन आज हम आपको जो फर्टिलाइजर बनाना बताएँगे उसके लिए आपको गुड़ और बेसन जैसी साधारण चीज़ों की ज़रूरत लगेगी हुई.

गुड़, बेसन और गोबर से तैयार करें खाद

गुड़, बेसन और गोबर से तैयार जैविक खाद्य उत्पादों के लिए एक बेहतरीन पोषण का स्रोत है. यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के साथ साथ पौधों की ग्रोथ में भी मदद करता है. इसे तैयार करने के लिए गोबर में एक कप गुण और एक कप बेसन मिलाकर अच्छे से मिश्रण तैयार करें और फिर इसे किसी एक बर्तन या गड्ढे में ढककर कम से कम 15-16 दिन तक रखे.

इस दौरान इसे हर दो दिन तक पलटते रहें, ताकि यह अच्छे से तैयार हो सके. कुछ ही दिनों में यह मिश्रण पौधों के लिए प्राकृतिक खाद बन जाएगा, जिसे आप आसानी से अपने गार्डन में इस्तेमाल कर सकते हैं.

चाय पत्ती का ऐसे करें इस्तेमाल

चाय बनाने के बाद बची हुई चाय पत्ती को फेंकने की बजाय की आप इसे एक बेहतरीन जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. चाय पत्ती को धोकर उसमें से चीनी और दूध का अंश अच्छी तरह से हटा दें और इसे एक कंटेनर में इकट्टा करें. इसमें थोड़ी मिट्टी और पानी मिलाकर 7-10 दिनों तक सड़ने के लिए छोड़ दें.

जब यह मिश्रण काले रंग का हो जाए और मिट्टी जैसी महक देने लगे तो यह प्राकृतिक खाद बनकर तैयार है. जल्द ही यह खाद्य उत्पादों को ज़रूरी पोषण और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए बेहद फ़ायदेमंद हैं.

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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