सनातन धर्म में कालाष्टमी का बहुत ही महत्व है। दरअसल इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। लेकिन इस बार कालाष्टमी की तारीख को लेकर दुविधा की स्थिति देखने को मिल रही है। दरअसल देव दिवाली के बाद मार्गशीर्ष मास शुरू हो जाता है। जिसके बाद कई बड़े त्यौहार आते हैं। इसी में से एक है कालाष्टमी का त्यौहार। यह त्यौहार नवंबर-दिसंबर-जनवरी में आता है। यदि आप भी इस दौरान भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करते हैं तो आपके लिए यह खबर महत्वपूर्ण हो सकती है।
दरअसल कालाष्टमी का यह त्यौहार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव का ही दूसरा नाम है।
कब मनाई जाएगी कालाष्टमी?
दरअसल इस वर्ष की कालाष्टमी की तिथि पर नजर डाली जाए तो यह 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर शुरू हो जाएगी। वहीं कालाष्टमी का त्यौहार अगले दिन यानी 23 नवंबर 2024 को शाम 7 बजकर 56 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। यानी 22 नवंबर को आप काल भैरव जयंती का यह त्यौहार मना सकते हैं। इस दिन शुक्रवार रहने वाला है। आप इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। बता दें कि भगवान काल भैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार माने जाते हैं। ऐसे में यह त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है।
कैसे करें भगवान काल भैरव की पूजा?
वहीं भगवान काल भैरव की पूजा करने के लिए आप सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहने। इसके बाद लकड़ी के एक तख्ते पर भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद आप फिर भगवान काल भैरव की तस्वीर स्थापित करें। पूजा करने के लिए आप भगवान को पुष्प की माला पहनाएं। वहीं इसके बाद चौमुखा दीपक जलाकर गुग्गल की धूप जलाएं। पूजा के लिए आप अच्छे अबीर, गुलाल और अष्टगंध का उपयोग करें। इसके बाद अपने हाथ में गंगा जल लेकर व्रत संकल्प लें। इसे साथ ही आपको भगवान शिव और मां पार्वती और साथ में भैरव भगवान की पूजा और आरती करें।