Balaghat News: एम-शिक्षामित्र एप में मृत शिक्षकों की लग रही हाजिरी, जानें पूरा मामला

Sanjucta Pandit
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Balaghat News : बालाघाट में एम-शिक्षामित्र ऐप को लेकर शुरूआत से ही शिक्षकों विरोध कर रहे हैं लेकिन सामने आये नये प्रकरण ने एम-शिक्षामित्र की खामियों को उजागर कर दिया है। दरअसल, मुख्यालय में बूढ़ी स्कूल में पदस्थ दो शिक्षकों के मृत हो जाने के बावजूद उनकी ऑनलाइन हाजिरी दिखा रहा है। मतलब मृत शिक्षक रोजाना ही बच्चों को पढ़ाने स्कूल पहुंच रहे है यह कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं बल्कि जिले के एक स्कूल की हकीकत है। नगरीय क्षेत्र के वार्ड क्रमांक एक सागौन वन बूढ़ी स्कूल का कुछ ऐसा ही मामला है, जहां दो वर्ष पूर्व मृत हो चुके शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी एप के माध्यम से शासन तक रोजाना पहुंच रही है। इसमें चौकने या डरने की आवश्यकता नहीं है बल्कि यह एम-शिक्षामित्र ऐप की खामियों को उजागर करने वाला जीवंत मामला है।

ई-अटेंडेंस अनिवार्य

दरअसल, भारी विरोध के बावजूद शिक्षा विभाग ने एक बार फिर ई-अटेंडेंस अनिवार्य का नियम लागू कर दिया है। जिसमें सभी सरकारी स्कूलों में भले ही बच्चे नहीं आएंगे लेकिन शिक्षकों को स्कूल पहुंचकर एम-शिक्षामित्र ऐप के माध्यम से ई-अटेंडेंस लगाने के आदेश जारी किए हैं। जिसको लेकर शिक्षकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

2 साल पहले हो चुकी है मौत

मिली जानकारी के अनुसार, नगर के वार्ड क्रमांक सागौन वन स्थित शासकीय माध्यमिक शाला बूढ़ी बालाघाट में 11 शिक्षक, शिक्षिकाओं के पदस्थ स्वीकृत हैं जबकि प्रतिवर्ष एक शिक्षक की प्रतिपूर्ति अतिथि शिक्षक के तौर पर शासन द्वारा की जाती है। इस स्कूल में पदस्थ प्रधान पाठक रनमत सिंह धुर्वे की वर्ष 2021 में मौत हो चुकी है तो वहीं स्कूल के सहायक शिक्षक जॉय पटोले कि वर्ष 2019 में मृत्यु हो गई थी। प्रधान पाठक और सहायक शिक्षक की मृत्यु के बाद भी अब तक सरकारी रिकॉर्ड से मृतक शिक्षकों की जानकारी नहीं हटाई गई है। बताया जा रहा है कि एम-शिक्षामित्र ऐप में शिक्षकों के नाम हटाने या जोड़ने का कोई ऑप्शन ही नहीं है। जिसके चलते ऐप मृत हो चुके शिक्षकों की रोजाना हाजिरी अपने आप लगा देता है।

नहीं हो रहा वेतन जनरेट

ऐप के नए वर्जन के जरिए शिक्षकों की अटेंडेंस को वेतन से भी जोड़ दिया गया है। जानकारी के अनुसार, अगर एप से अटेंडेंस नहीं लगाई तो वेतन भी जनरेट नहीं होगा इसलिए शिक्षकों को हर हाल में ई-अटेंडेंस लगानी ही है। वहीं, जब तक ई-अटेंडेंस लगाने का कार्य पूरा नहीं होता। तब तक ऐप क्लोज नहीं होता। ऐसे में या तो शिक्षकों को मृतक शिक्षकों की अटेंडेंस लगानी पड़ती है या फिर एप अपने आप उनकी अटेंडेंस लगा देता है। हालांकि, इस ऐप में मृतक शिक्षकों की सिर्फ हाजिरी लग रही है लेकिन उनका वेतन जनरेट नहीं हो रहा है।

बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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