बालाघाट : वन्यप्राणी की खाल के साथ धन तंत्र साधना करते सात गिरफ्तार

Amit Sengar
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बालाघाट, सुनील कोरे। आदिवासी पिछड़े बालाघाट जिले में आज भी जंगलो में तंत्र साधना के आधार पर रूपयों की बारिश को लेकर कई और मामले भी पूर्व में सुनाई देते रहे है लेकिन वन्यप्राणियों की खाल के साथ धन तंत्र साधना कर रहे सात लोगों को वनविभाग की टीम ने गिरफ्तार किया है।

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वनपरिक्षेत्र अधिकारी कृष्ण कुमार नामदेव ने बताया कि 16 जून की रात्रि मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि जिले के खैरगांव निवासी 41 वर्षीय चोखेलाल पिता बसंतराम पटले है जो पंडा का काम करता है, बताया जाता है कि इसके यहां धन के लिए तंत्र साधना की जा रही थी। तभी वनपरिक्षेत्र लामता की टीम ने चोखेलाल पटले सहित सीताराम वरकड़े और एक अन्य को मय बाघ की खाल और छोटी चीतल एवं तेंदुये की खाल के साथ पकड़ा गया। जिनसे पूछताछ में पता चला कि छिंदवाड़ा के हरई निवासी कुछ और भी लोग शामिल है, जिसके बाद टीम को हरई भेजकर अन्य आरोपियों को पकड़ा गया। इसमें कुल 7 लोगो को गिरफ्तार किया गया है।

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वनविभाग की टीम द्वारा वन्यप्राणियो की खाल से धनवर्षा की तंत्र साधना में जुटे सात आरोपियों में बालाघाट खैरगांव निवासी 41 वर्षीय चोखेलाल पिता बसंतराम पटले, छिंदवाड़ा के कारापाठा निासी 35 वर्षीय सीताराम पिता जगपाल वरकड़े, कटेर निवासी 24 वर्षीय रामराज पिता धनसिंह वट्टी, राजधाना निवासी 57 वर्षीय सेतनशा पिता रघु इनवाती, कटेर निवासी 27 वर्षीय शिवराजन पिता धनसिंह वट्टी, पढारा निवासी 32 वर्षीय उमेश पिता मेहमानशाह धुर्वे और राजधाना निवासी समनसिंह पिता मेहंगु मर्सकोले के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 39, 40, 43, 44 के तहत वन अपराध दर्ज कर गिरफ्तार किया है।

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इस कार्यवाही में वनविभाग के वरिष्ठ अधिकारियो के मार्गदर्शन में परिक्षेत्र अधिकारी कृष्ण कुमार नामदेव, सहायक परिक्षेत्र अधिकारी सिद्धार्थ कामले, रोशनलाल पडवार, ब्रजलाल यादव, राजेन्द्र कुमार दुबे, कृष्ण कुमार ऐड़े, नरेन्द्र शेंडे, नरेंद्र मर्सकोले, विनय गौतम, आशीष चौकसे, किसान वरकड़े, मो. हमीद, विजय दशहरे सहित अन्य वन कर्मचारियों का सराहनीय योगदान रहा।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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