भोपाल में बैठा बेटा पिता के साथ खिलाता था आईपीएल सट्टा

बालाघाट, सुनील कोरे। इस वर्ष कोरोना के कारण देश से बाहर विदेश में हो रहे आईपीएल को लेकर क्रिकेट प्रेमियों में खासा रोमांच है, जिसमें बड़े पैमाने पर सट्टा भी खिलाया जा रहा है, हालांकि अब तकनीकि युग में क्रिकेट सट्टा भी हाईटेक हो गया है, लेकिन आरोपी कितना भी शातिर हो, वह पुलिस की निगाहों से बच नहीं सकता। ऐसा ही कुछ भोपाल में बैठे-बैठे एक युवक अपने पिता की मदद से बालाघाट में आईपीएल का सट्टा खिला रहा था। जिसकी मुखबिर से मिली सूचना के बाद कोतवाली पुलिस ने आईपीएल सट्टेबाजी का भांडाफोड़ करते हुए सटोरिये सहित सट्टेबाज नगर के हरिओम नगर राजेन्द्र पिता रामलाल बोपचे को गिरफ्तार किया है, जबकि भोपाल में बैठकर बालाघाट में पिता के साथ मिलकर आईपीएल सट्टा खिला रहा आरोपी युवक लक्की बोपचे फरार है, जिसकी पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है। हालांकि पुलिस द्वारा लंबे समय बाद आईपीएल सट्टेबाजी के मामले में पकड़े गये आरोपियों को लेकर जानकारी तो दी गई, लेकिन उन्हें प्रेस के सामने लाने से पहले ही जमानत पर रिहा कर दिया।

आईपीएल सट्टेबाजी मामले में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने कंट्रोल रूप में आयोजित प्रेसवार्ता में खुलासा करते हुए बताया कि नगर में आईपीएल मैच में सट्टे को लेकर मुखबिर से मिली सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने समनापुर निवासी डिलेश पिता गुलाबचंद भौरगढ़े को पकड़ा। जिसने पूछताछ में बताया कि भोपाल में बैठे लक्की बोपचे से फोन के माध्यम से उसने आईपीएल के एक मैच में सट्टा लगाया था। लक्की बोपचे अपने पिता राजेन्द्र बोपचे के साथ मिलकर आईपीएल का सट्टा खिलाता है। जिसमें जीतने पर वो 23 हजार रूपये की राशि लेने लक्की बोपचे के घर हरिओम नगर जा रहा था। जिसके आधार पर पुलिस ने डिलेश को लक्की बोपचे के घर भेजा, जहां लक्की बोपचे के पिता राजेन्द्र बोपचे द्वारा जैसी ही डिलेश को आईपीएल मैच में लगाये गये सट्टे की जीती हुई रकम 23 हजार दी गई, वैसे ही पुलिस ने उन्हें रंगेहाथ पकड़ा है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।