बैतूल, वाजिद खान। प्रदेश में पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद गांव-गांव में हर कोई अपनी प्रबल दावेदारी दिखा रहा हैं, वहीं कई गांव प्रथम और द्वितीय चरण में आ रहे तो उनके यहाँ फॉर्म भी जमा हो गए आज (23 दिसंबर) उनकी नामांकन वापसी का और चुनाव चिन्ह मिलने का दिन हैं, लेकिन इसी बीच पंचायत चुनाव में एक अनोखी तस्वीर बैतूल जिले के देवपुर कोटमी से सामने आ रही है। जहाँ ग्राम पंचायत में आदिवासी महिला सरपंच से लेकर 20 पंच तक आम सहमति चुन लिए गए।
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हम आपको बता दें कि बैतूल के चिचोली जनपद की देवपुर कोटमी में पंचायत चुनाव में सरपंच से लेकर पंच तक बिना किसी लड़ाई झगड़े, प्रतिद्वंदिता और चुनाव के आम राय से चुन लिए गए हैं। क्योंकि कोविड त्रासदी के दौरान इस ग्राम पंचायत में एक दर्जन लोगों मृत्यु हो गई, इन मौतों ने सारे गांव को एक प्रेरणा दी कि जब सबको मरना ही है तो पार्टी बंदी और वैमनस्यता क्यो की जाए। इसी बीच जब पंचायत चुनाव आये तो एक बैठक आयोजित कर तय किया गया कि कोई भी सरपंच और पंच चुनाव के लिए एक दूसरे के खिलाफ नामांकन फार्म नही भरेगा। सभी पद आम राय से तय किये जायेंगे।
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दरअसल, ग्रामीणों ने बैठक में तय किया कि ग्राम पंचायत में सरपंच पद आदिवासी महिला के लिए आरक्षित है। इसलिए इस वर्ग की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी जो भी महिला होगी उसे सरपंच बना दिया जाए। वार्डो में जो पंच ज्यादा पढ़े और सक्षम है जिनकी दूसरों पर निर्भरता कम है। उन्हें इन पदों के लिए चुन लिया जाए।
गौरतलब है कि गांव में दसवीं कक्षा तक पढ़ी निर्मला अम्बर इवने को सरपंच व 20 पंच को भी चुन लिया गया है। पंचों में एक युवक 12 वी पास तक पढ़ा लिखा है। सरपंच पद के लिए चुनी गई निर्मला की प्राथमिकता है कि गांव में हायर सेकेंडरी स्कूल खोला जाए, क्योंकि गांव में स्कूल मिडिल तक ही हैं और आगे की पढाई के लिए छात्रों को दूसरे गांव की राह पकड़नी पड़ती है, दूसरी समस्या महिलाओं को पेयजल के लिए दूर दराज तक जाना पड़ता हैं। जबकि गांव में नल जल योजना शुरू होने के बाद ही बंद हो गई, निर्मला अम्बर इवने ने भरोसा दिलाया है कि पद संभालते ही में सब संकट को दूर करुँगी।
रिटर्निंग ऑफिसर तहसीलदार नरेश सिंह राजपूत ने ग्रामीणों की इस पहल की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि इस गांव से सिर्फ एक-एक व्यक्तियों का ही नामांकन मिला था अब आगे निर्वाचन आयोग के जैसे निर्देश होंगे वैसे परिणाम की घोषणा की जाएगी यह बहुत अच्छी पहल है एकजुट होकर निर्णय लिया जाना अनुकरणीय है। ग्रामीणों के इस फैसले ने बाकी पंचायतो को भी नई राह सुझा दी है।