कलेक्ट्रेट में लगे कलेक्टर मुर्दाबाद के नारे,ज्ञापन जलाकर कर जताया विरोध

Gaurav Sharma
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बैतूल, वाजिद खान। शहर में जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन के युवाओं ने कलेक्टर मुर्दाबाद और कलेक्टर को वापस जाना होगा जैसे नारे लगाकर उग्र प्रदर्शन किया। इन युवाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ भी कलेक्ट्रेट परिसर पर जमकर नारेबाजी की। जयस संगठन का ज्ञापन लेने जब कलेक्टर नहीं आए और उनकी जगह एसडीएम और एडीएम ज्ञापन लेने आए तो आदिवासी युवा आक्रोशित हो गए और उन्होंने पुलिस और अधिकारियों के ही सामने थाली बजाकर कलेक्टर के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिए। यही नहीं गुस्से में अधिकारियों के ही सामने ज्ञापन जला दिया।

दरअसल सोमवार को कलेक्ट्रेट में जमकर हंगामा हुआ। संगठन के पदाधिकारी बेरोजगारी ,निजीकरण और हाथरस की घटना को लेकर नाराज थे । संगठन के पदाधिकारियों ने पहले रैली निकाली। यह रैली शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची। संगठन के पदाधिकारियों ने रास्ते में नगर पालिका के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला भी जलाया। इस दौरान मोदी, योगी को जूते मारो सालों को के नारे भी लगाए गए । यह रैली कलेक्ट्रेट पहुंची संगठन के पदाधिकारी कलेक्टर राकेश सिंह को ज्ञापन देने पर अड़े रहे, उन्होंने कलेक्ट्रेट में भी जमकर प्रदर्शन किया। यहां पर शिवराज मामा चोर है जैसे नारे भी लगाए गए। इस दौरान पुलिस भी तैनात रही और इन नारों को सुनती रही। कलेक्टर के बाहर होने की अधिकारियों की समझाने के बावजूद भी संगठन के पदाधिकारी नहीं माने। वे कलेक्ट्रेट में कलेक्टर को ज्ञापन देने के लिए अड़े रहे। इस दौरान कलेक्टर मुर्दाबाद, कलेक्टर मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। जब कलेक्टर नही आये तो आदिवासियों ने ज्ञापन जला दिया और कलेक्ट्रेट से वापस चले गए ।

आदिवासी नेता दिलीप धुर्वे का कहना है कि हम बेरोजगारी को लेकर ज्ञापन देने आए थे, लेकिन हमारा ज्ञापन कलेक्टर लेने नहीं आए, जिससे पूरा समाज आक्रोशित हो गया। हम लोग 2 घंटे तक इंतजार करते रहे और हमने ज्ञापन जलाकर वापस जा रहे हैं। वहीं जयस नेता संदीप धुर्वे का कहना है कि हमने 2 दिन पहले ही जिला प्रशासन को सूचना दे दी थी कि हम बेरोजगारी को लेकर आंदोलन करेंगे और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे, उसके बाद भी आज हमारा ज्ञापन कलेक्टर लेने नहीं आए, जिसके बाद जयस संगठन और बाकी के संगठन के सभी युवा नाराज हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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